2009-01-01 16:18:31

शांति निर्माण हेतु निर्धनता के विरूद्ध संघर्ष


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के फाइटिंग पोबर्टी टू बिल्ड पीस अर्थात् शांति निर्माण हेतु निर्धनता के विरूद्ध संघर्ष शीर्षक से जारी 17 पृष्ठीय दस्तावेज का आरम्भ इस तथ्य से किया गया है कि निर्धनता के विरूद्ध संघर्ष में भूमंडलीकरण की जटिलता पर गहन ध्यान देने की जरूरत है। निर्धनता न केवल भौतिक संसाधनों का मामला है लेकिन सम्पन्न देशों में भी लोग समाज के हाशिये में धकेले जाने तथा भावनात्मक, नैतिक और आध्यात्मिक निर्धनता का सामना कर रहे हैं। इसलिए निर्धनता का नैतिक तात्पर्य़ है जब बहुधा निर्धनता और जन्म दर के मध्य झूठा सहसंबंध दिखाया जाता है, जन्म दर कम करने के अंतरराष्ट्रीय अभियानों में बल दिया जाता है, यदा कदा उन तरीकों का प्रयोग किया जाता है जो न तो महिला की मर्यादा का और न ही कितना संतान हो इस संबंध में अभिभावकों के अधिकारों का सम्मान करते हैं। इससे भी गंभीर बात है कि ये तरीके बहुधा जीवन के अधिकार का सम्मान करने में विफल रहते हैं। निर्धनता के खिलाफ संघर्ष के नाम पर लाखों अजन्मे शिशुओं को जो वस्तुतः मानव प्राणी में सबसे निर्धनतम होते हैं उनका विनाश होता है।

संत पापा का संदेश निर्धनता और जनसंख्या वितरण के सहसंबंध की आधारहीनता को दर्शाता है कि 1981 में विश्व की आबादी के लगभग 40 प्रतिशत लोग पूर्ण गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे थे। यह प्रतिशत आज आधा हो गया है। इसके साथ ही विश्व पटल पर जो देश नयी आर्थिक ताकत बन कर उभर रहे हैं उन्होंने तेज विकास दर को अनुभव किया है वह भी इसके निवासियों की बड़ी संख्या होने के कारण। इसी तरह निर्धनता का एक प्रमुख कारण एडस के खिलाफ संघर्ष करना कठिन है यदि इस बीमारी के वायरसों के प्रसार से जुड़े नैतिक मुददों का जवाब नहीं दिया जाये। बाल्य निर्धनता और सुकुमारों की स्थिति पर भी इसी संदर्भ में विचार किया जाना चाहिए कि वे परिवार की सबसे कमजोर अवस्था से जुड़े हैं। जब परिवार कमजोर होते हैं तो प्रत्यक्ष रूप से बच्चे पीड़ा सहते हैं। यदि माताओं और महिलाओं की मर्यादा की रक्षा नहीं की जाती है तो अंततः बच्चे ही सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। निर्धनता का नैतिक आयाम निरस्त्रीकरण और विकास के मध्य संबंध से भी प्रभावित होता है। यह प्रत्यक्ष है कि बड़े स्तर पर सैन्य खर्च जिसमें भौतिक एवं मानवीय संसाधन तथा शस्त्र शामिल हैं यह वास्तव में जन कल्याणकारी योजनाओं से विचलित किया गया धन है। शस्त्रों की होड़ अल्पविकास और हताशा के क्षेत्रों को निर्मित करते हैं ताकि विरोधास रूप में यह अस्थिरता,तनाव और संघर्ष का कारण बनता है। निर्धनता के विरूद्ध संघर्ष का अन्य पहलू खाद्य संकट है जिसकी विशेषता भोजन की कमी नहीं लेकिन भोज्य पदार्थों को प्राप्त करनेवाली जटिल प्रक्रिया तथा आंकलन के विभिन्न स्वरूपों के कारण हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि राजनैतिक और आर्थिक संस्थानों की कमी है जो आकस्मिक स्थितियों और जरूरतों का प्रत्युत्तर दे सकें। यदि गरीबी के कारण वैश्विक हैं तो भूमंडलीकरण को चाहिए धनी और निर्धन देशों के मध्य वैश्विक सहदयता की भावना हो। यह भावना सम्पन्न तबकों सहित देशों के अंदर भी हो। इसका अर्थ है कि नैतिकता के सामान्य नियमों की जरूरत है जो न केवल जनमत पर आधारित हों लेकिन प्रत्येक मानव के अंतःकरण में स़ष्टिकर्त्ता द्वारा अंकित प्राकृतिक विधान में जड़ जमाये हों। भूमंडलीकरण वास्तव में अनेक बाधाओं को दूर करता है और नये बाधाओं को उत्पन्न करने में सक्षम है. यह लोगों को एकसाथ लाता है लेकिन स्थान और अस्थायी निकटता स्वयं से यथार्थ सामुदायिकता और यथार्थ शांति की परिस्थितियाँ नहीं उत्पन्न करता है। भूमंडलीकरण के द्वारा विश्व के निर्धनों को समाज के हाशिये पर धकेलनेवाली प्रक्रिया के उपचार हेतु प्रभावी उपाय पाये जा सकते हैं यदि सर्वत्र लोग निजी रूप से विश्व में होनेवाले अन्यायों तथा मानवाधिकारों के हनन के विरूद्ध सजग होंगे। निर्धनता के कारणों को वैश्विक दृष्टि से देखें तो निर्धनता के विरूद्ध संघर्ष में आर्थिक स्तर और कानूनी स्तर पर सहयोग की जरूरत है ताकि ऊपर वर्णित समस्याओं के समाधान हेतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अनुमति प्रदान करे मुख्य रूप से निर्धनता देशों में समन्वित रणनीतियों की पहचान करने और लागू करने में। इस तरह अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रभावी कानूनी फ्रेमवर्क उपलब्ध हो सकेगा।
निर्धनता के खिलाफ संघर्ष के लिए वास्तव में जरूरी है ऐसे स्त्री और पुरूष जो भ्रातृत्व भावना में जीते हैं तथा निजी, परिवार और सामुदायिक स्तर पर लोगों के यथार्थ मानवीय विकास की यात्रा में उनके साथ चलें। आज के भूमंडलीकृत विश्व में यह और अधिक स्पष्ट दिखाई देता है कि शांति की रचना तब ही की जा सकती है जब प्रत्येक जन के वांछनीय विकास की संभावना सुनिश्चित हो। भूमंडलीकरण जो सहदयता उन्मुख हो और सबकी कल्याण खोजता हो इस अर्थ में इसे एक अच्छे अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए जो निर्धनता के खिलाफ संघर्ष में कुछ उपलब्धि हासिल कर सकता है तथा न्याय और शांति के सामने संसाधनों को प्रस्तुत करता है।











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