2008-12-23 11:22:20

वाटिकन सिटीः "प्रकृति की सुरक्षा हमारा कर्त्तव्य है किन्तु मानव प्राणी को आत्मविनाश से बचाना भी हमारा धर्म है", कहना बेनेडिक्ट 16 वें का


वाटिकन के विभिन्न कार्यालयों में सेवारत धर्माधिकारियों को सोमवार को क्रिसमस महापर्व के उपलक्ष्य में बधाईयाँ देते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि सृष्टि के वरदानों के रूप में धरती, जल और वायु की सुरक्षा कलीसिया का कर्त्तव्य है किन्तु मानव प्राणी को आत्मविनाश से बचाना भी उसके मिशन का अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा कि यदि इस तथ्य को दृष्टिगत रखा जाये कि ख्रीस्तीय धर्म के सार का मूलमंत्र ईश्वर में विश्वास है तो कलीसिया स्वतः को मुक्ति सन्देश सुनाने तक सीमित नहीं रख सकती बल्कि सृष्टि की सुरक्षा भी उसकी ज़िम्मेदारी है जिसे उसे सार्वजनिक रूप से पूरा करना चाहिये। उन्होंने कहा कि कलीसिया को अधिकार है कि वह, स्त्री और पुरुष के रूप में, मानव स्वभाव एवं मानव प्रकृत्ति की बात करे।

सन्त पापा ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना आवश्यक है किन्तु साथ ही मानवीय पर्यावरण की रक्षा भी अनिवार्य है। मानवीय पर्यावरण का अर्थ समझाते हुए सन्त पापा ने कहा कि यह मानव व्यक्ति की प्रकृति के प्रति सम्मान पर आधारित है जिसमें पुरुष एवं स्त्री दोनों लिंग आते हैं।

इस तथ्य पर सन्त पापा ने बल दिया कि जब कलीसिया मानव प्राणी की बात पुरुष एवं स्त्री रूप में करती है तथा सृष्टि के इस निकाय के प्रति सम्मान का आव्हान करती है तो यह कोई दकियानूसी ख्याल नहीं है। उन्होंने कहा कि सृष्टि के इस निकाय के प्रति सम्मान सृष्टिकर्त्ता ईश्वर में विश्वास की अभिव्यक्ति है जबकि इस निकाय का तिरस्कार मानवजाति को विनाश की ओर ले जाता है। स्त्री एवं पुरुष की विशिष्ट भूमिका को समझने के लिये, सन्त पापा ने कहा, सृष्टि की भाषा को सुनना अनिवार्य है। एक पुरुष और एक स्त्री के बीच पारम्परिक इतरलिंगी सम्बन्धों के परे किसी भी अन्य सम्बन्ध को सन्त पापा ने प्रकृत्ति विरोधी एवं ईश्वर के कार्य का विनाश निरूपित किया।












All the contents on this site are copyrighted ©.