बेतिया, 22 दिसंबर, 2008। बेतिया के हाजमतोला के एक हिन्दु मंकेश्वरपति तिवारी ने कहा
है कि ख्रीस्तमस अब सब धर्मो को जोड़ने वाला त्योहार बन गया है। उन्होंने कहा कि
20 साल पहले जब वह पहली बार ईसाई धर्मावलंबियों को देखा था तब वे आम लोगों से कटे हुए
थे और उन्होंने ऐसा अनुभव भी किया था कि यह धर्म स्थानीय परंपरा और संस्कृति को उचित
स्थान नहीं देता है पर आज की स्थिति बिल्कुल बदल गयी है। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय
धर्म एक ऐसा धर्म है जो सदा ही लोगों को प्रेम और समानता की शिक्षा देने में अग्रणी रहा
है। उन्होंने उकान समाचार को इस बात को भी खुलासा किया कि ईसाई धर्म के कारण ही
बेतिया के दुस्साईया पारिश के हाजमातोला गाँव में हिन्दुओं और ईसाइयों का संबंध सौहार्दपूर्ण
है। उन्होंने यह भी कहा कि उस गाँवे के ईसाइयों ने सदा ही प्रेम से जीने की प्रेरणा दी
है और लोगों को यह सिखाया है कि प्रेम का जीवन ही सच्चा जीवन है। उनका प्रेम उनकी
सेवा और सहयोग की भावना में स्पष्ट दिखाई देती है। इतना ही नहीं लाल बाबू सिंह एक अन्य
बुजूर्ग हिंदु ने कहा कि ईसाइयों ने सदा ही हिंदु परंपराओं के प्रति अपना सम्मान दिखाया
है और उनकी धार्मिक भावना का आदर किया है । उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि ईसाई
मांसाहारी होते हैं पर जब ख्रीस्त जयंती के समय वे उनके त्योहारों में शामिल होते हैं
तो उनके लिये शाकाहारी भोजन बनाया जाता है। काथलिक परिवारों के लिये यह एक अलग परेशानी
है पर वे इस लिये ऐसा करते हैं ताकि हिंदुओं की भावना को ठेस न पहुँचे और उनका सौहार्दपूर्ण
संबंध बना रहे। एक काथलिक महिला चंदना तिग्गा ने तो कहा कि कई बार तो उन्होंने हिंदुओं
के आवभगत के लिये नये बर्तन भी खरीद लिये हैं ताकि किसी उनकी भावनाओं को ठेस न पहुँचे।
विक्टोर विजय ने कहा है ईसाइयों के पर्व के दिनों में हिंदुओं ने कभी भी कोई परेशानी
खड़े नहीं की हैं इसके ठीक विपरीत हिन्दुओं ने ईसाई रीति विधियों और त्योहारों की सराहना
की है और उनके विश्वास को मजबूत भी किया है। ज्ञात हो कि इस गाँब में 50 हिंदु परिवार
हैं और सिर्फ 6 काथलिक परिवार हैं। दुस्सइया के पल्ली पुरोहित भिन्सेंट कुजूर ने आशा
व्यक्त की है कि जो अंतरधार्मिक सम्मान की भावना का जो मिसाल हाजमतोला गाँव के हिंदुओं
और ईसाइयों ने दिखलायी है वैसा ही पूरे देश के लोग धार्मिक समभाव रखेंगे।