मुम्बई हमलों के षड़यंत्रकारियों को काली सूची में रखने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा
परिषद में भारत की मांग
भारतीय विदेशी मामलों के राज्य मंत्री ई. अहमद ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा
परिषद में मांग की कि मुम्बई हमलों के लिये ज़िम्मेदार व्यक्तियों को संयुक्त राष्ट्र
की आतंकवाद सम्बन्धी काली सूची में रखकर दण्डित किया जाये। अंतरराष्ट्रीय शांति
और सुरक्षा पर बने ख़तरे विषय पर मंगलवार को हुए वाद विवाद के दौरान मंत्री अहमद ने कहा
में पाकिस्तान में सक्रिय लश्कर-ए- तायबा के करीबी संगठन जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगाये
जायें। उन्होंने कहा कि जो कोई भी मुम्बई हमलों से किसी भी तरह लिप्त था उसे न्यायोचित
दण्ड दिया जाना चाहिये। ग़ौरतलब है कि जमात उद दावा, लश्कर-ए-तायबा के अधीन युवाओं
को आतंकवादी गतिविधियों अथवा जिहाद के लिये तैयार करनेवाला आतंकवादी संगठन है। मंत्री
अहमद ने मांग की कि लश्कर-ए-तायबा तथा उससे संलग्न सभी आतंकवादी संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र
संघीय प्रस्ताव 1267 के तहत प्रतिबन्ध लगाये जायें जिससे उनके बैंक खातों एवं यात्राओं
आदि पर रोक लगाई जा सके। पाकिस्तान का नाम लिये बगैर विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद
ने कहा कि जिस देश से मुंबई हमलों के लिये चरमपंथियों को मदद मिली है उस देश का नैतिक
दायित्व है कि वह इन्हें रोकने के लिए तुरंत कठोर क़दम उठाये। भारत बार बार कहता
रहा है कि मुंबई हमलों के पीछे पाकिस्तान में सक्रिय लश्कर-ए-तायबा का हाथ है जो पाकिस्तानी
ख़ुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर काम कर रहा है। इतना ही नहीं हमलों के बाद भारत
ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए विश्व स्तर पर भी काफ़ी प्रयास किया है। इस मामले
में भारत ने रुस, अमरीका, फ्रांस और इंग्लैंड के अलावा कई और देशों को पूरी जानकारी दी
है और इस बात के सबूत पेश किए हैं कि भारत में हो रही चरमपंथी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान
में सक्रिय चरमपंथी गुटों का हाथ है।