2008-12-08 13:12:56

देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, रविवार 07 दिसम्बर, आगमन काल के दूसरे रविवार को, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र हज़ारों तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ कर उन्हें अपना सन्देश दिया। देवदूत प्रार्थना से पूर्व भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा ने इस रविवार के लिये निर्धारित धर्मग्रन्थ पाठों पर चिन्तन करते हुए कहाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
विगत एक सप्ताह से हम आगमन सम्बन्धी धर्मविधिक काल का अनुभव प्राप्त कर रहे हैं – आगमन काल, ईश्वर के भविष्य के प्रति स्वतः को उदार बनाने का समय है, यह ख्रीस्त जयन्ती महापर्व की तैयारी का काल है, जब, प्रभु, जो कि परम नवीनता हैं, गिरी हुई मानवजाति के बीच निवास करने आये ताकि उसे अन्तर से नवीकृत कर सकें। आगमनकालीन धर्मविधि में आशा से परिपूर्ण सन्देश प्रतिध्वनित होता है, जो हमें अपनी आँखें ऊपर उठाकर अन्तिम क्षितिज की ओर देखने के लिये आमंत्रित करता है किन्तु इसके साथ साथ, यह सन्देश हमें वर्त्तमान में हमारे संग विद्यमान् ईश्वर के संकेतों को पहचानने का भी न्योता देता है। आगमन काल के इस दूसरे रविवार को, ईश्वर का वचन कथित विधि-इसायाह के भावात्मक परिप्रेक्ष्य को धारण कर लेता है, जो अन्ततः, बेबीलोन में दशकों तक निर्वासन का उत्पीड़न सह चुके, इसराएलियों की मुक्ति की घोषणा करता है, ईश्वर के नाम पर नबी कहता हैः "मेरी प्रजा को सान्तवना दो, सान्तवना दो।
येरूसालेम को ढारस बँधाओ और पुकार कर उस से यह कहो कि उसकी विपत्ति के दिन समाप्त हो गये हैं।" यही है जो ईश्वर आगमन काल के समय करना चाहते हैं: वे अपनी प्रजा के हृदय की गहराई तक पहुँचना चाहते, तथा उसके द्वारा, सम्पूर्ण मानवजाति के समक्ष मु्क्ति की उदघोषणा करना चाहते हैं।"

सन्त पापा ने आगे कहाः "आज उच्च स्वर में कलीसिया भी पुकारती हैः "उजाड़ प्रदेश में प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो।" दरिद्रता एवं क्षुधा से पीड़ित जनता के लिये, शरणार्थियों की भीड़ के लिये, उनके लिये जो अपने अधिकारों का घोर एवं क्रमबद्ध उल्लंघन सहते हैं, कलीसिया, विश्वास रूपी पर्वत पर खड़े सन्तरी के सदृश उनके समक्ष उदघोषणा करती हैः "देखो, प्रभु ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा है। वह सब कुछ अपने अधीन कर लेगा।"

उन्होंने कहाः "यह नबूवती घोषणा येसु ख्रीस्त में चरितार्थ होती है। उन्होंने, अपनी सार्वजनिक प्रेरिताई और बाद में अपनी मृत्यु एवं पुनःरुत्थान द्वारा, प्राचीन प्रतिज्ञाओं को पूरा किया और इस प्रकार एक गहन एवं अधिक सार्वभौम परिप्रेक्ष्य को प्रकट किया। उन्होंने एक ऐसे निर्गमन का उदघाटन किया जो केवल सांसारिक, ऐतिहासिक तथा अस्थायी निर्गमन नहीं था बल्कि एक ऐसा निर्गमन जो क्रान्तिकारी एवं निश्चयात्मक था, और वह है – बुराई और दुष्टता के साम्राज्य से ईश्वरर के राज्य की ओर पारगमन, पाप और मृत्यु से प्रेम एवं जीवन की ओर पारगमन। यही कारण है कि ख्रीस्तीय आशा सामाजिक एवं राजनैतिक स्वतंत्रता की वैधसंगत अभिलाषा से बढ़कर है क्योंकि जो कुछ येसु ने शुरु किया वह ईश्वर से आनेवाली नवीन मानवता है, किन्तु वह धरती से ही अंकुरित होती तथा इस कद़र तक उसका विस्तार होता है कि वह स्वतः को प्रभु के आत्मा से अनुप्राणित होने देती है। अस्तु, यह विश्वास की तर्कणा में पूर्णतः प्रवेश करने का विषय है अर्थात् ईश्वर पर भरोसा रखना, उनकी मुक्ति योजना में विश्वास करना और साथ ही ईश्वर के राज्य के निर्माण के लिये कार्य करना। वस्तुतः, न्याय एवं शान्ति ईश्वर द्वारा प्रदत्त वरदान हैं किन्तु इन वरदानों को प्राप्त करने के लिये स्त्री पुरुषों रूपी "अच्छी भूमि" चाहिये जो ईश वचन के अच्छे बीज ग्रहण करने के लिये तैयार हो।"

अन्त में सन्त पापा ने कहाः........ "येसु इस नवीन मानवता के प्रथम फल हैं, ईश्वर के पुत्र एवं मरियम के पुत्र। पवित्र कुँवारी मरियम ही वह मार्ग है जिसे स्वयं ईश्वर ने, उनके इस धरती पर आने के लिये, तैयार किया। अपनी पूर्ण दीनता के साथ, मरियम, प्रत्येक निर्वासन, प्रत्येक दमन तथा प्रत्येक नैतिक एवं भौतिक दासता से एक ऐसे नये आकाश और एक ऐसी नई पृथ्वी की ओर नये इसराएल के निर्वासन का नेतृत्व करती हैं जहाँ धार्मिकता और न्याय का वास है। शांति एवं मुक्ति हेतु हमारे युग के मनुष्यों की प्रतीक्षा को हम उन्हीं की ममतामयी मध्यस्थता के सिपुर्द करें।"

इन शब्दों से अपना सन्देश समाप्त कर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------













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