भूबनेश्वरः बलात्कार की शिकार धर्मबहन के प्रकरण पर अदालत ने कलीसिया की सुनी
उड़ीसा के उच्च न्यायालय ने कलीसिया का निवेदन सुनने के बाद यह निर्णय दिया है कि, उड़ीसा
के कंधामाल ज़िले में, ख्रीस्तीयों पर हिन्दु चरमपंथियों के आक्रमणों के दौरान, बलात्कार
की शिकार बनी काथलिक धर्मबहन को राज्य में वापस आये बगैर आरोपियों की पहचान करने दिया
जायेगा।
23 अगस्त को हिन्दु अतिवादी नेता लक्ष्मणानन्द की हत्या के उपरान्त कँधामाल
तथा आस पास के क्षेत्रों में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा भड़क उठी थी जिसमें सौ से अधिक ख्रीस्तीयों
की हत्या कर दी गई, कई गिरजाघरों, ख्रीस्तीय केन्द्रों एवं आवासों को आग के हवाले कर
दिया गया तथा लगभग 50,000 अपने घरों के परित्याग को बाध्य किये गये। 25 अगस्त को, पुलिस
की उपस्थिति में, एक काथलिक धर्मबहन का सामुहिक बलात्कार किया गया था।
कँधमाल
ज़िले स्थित बालीगुड़ा की निम्न अदालत ने धर्मबहन से मांग की थी कि वह आरोपियों की पहचान
अदालत में आकर करे। जिसके बाद, भूबनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत के नेतृत्व में
धर्मबहन ने उड़ीसा की उच्च अदालत से अपील की थी कि उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए
उन्हें उड़ीसा आये बगैर आरोपियों की पहचान करने की अनुमति दी जाये।
28 वर्षीया
धर्मबहन के वकील जून चौधरी ने उच्च न्यायालय में दलील पेश की थी कि धर्मबहन कँधमाल नहीं
जा सकती जहाँ उनका बलात्कार हुआ था और जहाँ अभी भी ख्रीस्तीय विरोधी तत्व ख्रीस्तीयों
को निशाना बना रहे हैं।
उच्च न्यायालय के निर्णय पर प्रतिक्रिया दर्शाते हुए
ऊका समाचार से महाधर्माध्यक्ष राफायल चीनत ने कहा कलीसिया इस निर्णय से सन्तुष्ट है क्योंकि
यह इस बात का संकेत है कि बलात्कार की शिकार बनाई गई धर्मबहन को अब न्याय मिल सकेगा।