2008-12-01 14:19:51

अंतरधार्मिक नेताओं के द्वारा ईसाई विरोधी हिंसा में मारे गये लोगों को श्रंद्घांजलि


दिल्ली, 1 दिसंबर, 2008। ईसाई विरोधी हिंसा में उड़ीसा में मारे गये ईसाइयों के लिये 25 नवम्बर को नयी दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया।
दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष भिन्सेन्ट कोनचेसाव ने उकान को बताया कि अंतरधार्मिक नेताओं के द्वारा हिंसा में मारे गये लोगों के प्रति हमारी श्रंद्घांजलि देना एक नयी परम्परा की शुरुआत है।
इस प्रार्थना सभा में विभिन्न धर्मों के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिन धर्मों के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया उनमें प्रमुख थे बहाई, बौद्ध, ईसाई, हिन्दु, जैन, मसलिम और जोरासट्र समुदाय के राजदूत एवं गणमान्य प्रतिनिधि।
इस अवसर पर संत पापा के राजदूत धर्माध्यक्ष पेदरो लोपेज क्विन्ताना और साईप्रस, जर्मनी, नीदरलैंड, पेरु और पोर्तगीज के राजदूतों ने भी हिस्सा लिया।
समारोह के आयोजक फादर एम.डी.थोमस ने कहा कि उन्होंने विभिन्न देशों के राजदूतों को भी निमंत्रण दिया ताकि वे देश को ऐसे क्षणों में मदद दे सकें जब देश अल्पसंख्यकों पर हो रहे हिंसा पर काबू पाने में असमर्थ है।
ज्ञात हो उड़ीसा में हुए हिंसा में सरकारी सूत्रों के आधार पर 61 निर्दोंषों की मृत्यु हो गयी थी।
हिंसा 24 अगस्त से शुरु हुई जब कुछ माओवादियों ने एक हिन्दु नेता और उसके चार साथियों की हत्या कर दी थी। सात सप्ताह तक चले इस हिंसा में करीब 50 हज़ार लोगों को जंगलों की शरण लेनी पड़ी थी।
फादर थोमस ने बताया कि हिंसा धर्म के नाम पर हुई पर इसके पीछे राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक कारण हैं।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसी परिस्थितियों में सबों को धर्म और जाति की भावना से उपर उठकर एकता और शांति के लिये कार्य करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील ने कहा कि देश में शांति और सद्भावना के प्रचार में धार्मिक नेताओं की बहुत बड़ी भूमिका होना चाहिये।
उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक नेताओं का एक साथ मिलकर प्रार्थना करने से आम लोगों के बीच यह संदेश जायेगा कि देश को हिंसा से बचाने के लिये मिल-जुल कर काम करने की आवश्यकता है।
पेरु के राजदूत मनुएल पिक्कासो ने कहा कि वे हिंसा की कड़ी निन्दा करते हैं और उनका विश्वास है कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।








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