अंतरधार्मिक वार्ता जोखिम भरा पर वरदानों से पूर्णः कार्डिनल तौरान
नेपल्स, 28 नवम्बर, 2008। अंतरधार्मिक वार्ता करना आसान नहीं है पर वार्ता ही लोगों को
वह अवसर देता है जिसके द्वारा लोग अपने विश्वास का साक्ष्य दे सकते हैं।
अंतरधार्मिक
वार्ता के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल लुइस तौरान ऩे उक्त बातें
उस समय कहीं जब वे दक्षिण इटली के ईशशास्त्र के विभाग के नये सत्र को उद्घाटन समारोह
में बोल रहे थे।
लोसेरभातोरे के अनुसार कार्डिनल तौरान ने कहा है कि अंतरधार्मिक
वार्ता के लिये कार्य करना जोखिम भरा कार्य है पर इसके अऩुपम वरदानों को भी नकारा नहीं
जा सकता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि इससे लोगों में आध्यात्मिक जागरुकता आ जाती है।
कार्डिनल
ने यह भी कहा कि ईसाइयो के लिये तो यह और ही बड़ी चुनौती है क्योंकि ईसाई विश्वास के
अनुसार हम दुनिया की सब समस्याओं का समाधान येसु मसीह में पाते हैं। कार्डिनल तौरान ने
कहा कि वास्तव में अंतरधार्मिक वार्ता धर्मों के मध्य वार्ता नहीं है पर धार्मिक व्यक्तियों
के मध्य वार्ता है।
वार्ता के के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताते हुए उन्होंने
कहा कि वार्ता चार विभिन्न पहलुओं पर की जानी चाहिये - जीवन से संबंधित, काम से संबंधित
आध्यात्मिकता और धर्मशास्र से संबंधित।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम संक्षेप
में कहना चाहें कि अन्तरधार्मिक वार्ता क्या है तो हम कह सकते हैं कि यह विभिन्न धर्मों
के द्वारा विभिन्न मुद्दों को समझने का प्रयास है ताकि इससे समाज का कल्याण हो सके।
कार्डिनल
ने कहा कि आज के संदर्भ में अंतरधार्मिक वार्ता बहुत ही महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि
आज लोग धर्म को समाज के लिये एक खतरा के रूप में देखने लगे हैं।
उन्होंने इस
बात के लिये खुशी जाहिर की अब लोग ईश्वर के बारे में बहुत विचार करने लगें हैं यह हमारे
समाज के लिये एक आशा की बात है।