2008-11-22 18:35:52

25 अगस्त को “भारतीय ईसाई शहीद दिवस” के रूप में घोषित हो


जबलपुर, 20 नवम्बर, 2008। मध्य भारत के ईसाई महासंघ के 200 सक्रिय सदस्यों ने माँग की है कि 25 अगस्त को भारतीय ईसाई शहीद दिवस के रूप में मनाया जाये।
उस दिन हिन्दु अतिवादियों ने निर्दोंष ईसाइयों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार ईसाई विरोधी हिंसा में उड़ीसा के 59 ईसाइयों की हत्या कर दी थी।
कुछ गैरसरकारी संगठनों के अनुसार इस हिंसा में करीब 500 ईसाइयों ने अपनी जानें गवायी हैं ।
ज्ञात हो कि इस समय अतिवादियों ने 100 गिरजाघरों को ध्वस्त कर दियाथा औऱ करीब पचास हजार ईसाइयों को जंगलों की शरण लेनी पड़ी थी।
यह भी ज्ञात हो कि 24 अगस्त को एक हिंदु नेता के साथ उसके चार कार्यकर्त्ताओं की हत्या कर दी गयी थी।
हत्या की जिम्मेदारी माओवादियों ने स्वीकार भी कर ली थी फिर भी ईसाइयों पर अमानुषिक गुस्सा उतारा गया था।
भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेओ कोरनेलियो ने अन्तरकलीसियाई प्रस्ताव कि 25अगस्त को भारतीय ईसाई शहीद दिवस के रूप में मनाया जाये का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि उड़ीसा के ईसाइयों का बलिदान महान् है। उन्होंने ईसाई विश्वास की तारीफ की और कहा कि ईसाइयों ने ख्रीस्तीय विश्वास के लिये अपने जान की परवाह नहीं की और शहीद हो गये।
इससे यह आरोप भी गलत सिद्ध हो गया है कि मिशनरियों ने ठग फुसला कर लोगों को ईसाई बनाया था। अगर उनके ईसाई बनने का आधार प्रलोभन होता तो वे ईसाई धर्म के लिये अपने प्राणों का बलिदान नहीं करते।
धर्माध्यक्ष ने कहा कि इतिहास गवाह है कि शहीदों का बलिदान ईसाई धर्म को मजबूत करता रहा है।
ईसाइयों को अमानुषिक तरीके से मार डालना ईसाइत को समाप्त करने का अतिवादियों का घिनौना खेल था लेकिन उनका विश्वास है कि हिंसा और घृणा की पराजय होगी और ईसाई विजयी होंगे।
अंतरकलीसियाई संगठन के अध्यक्ष जोशी कुरिसुंगल ने कहा है कि शहीदों का खून उड़ीसा में ईसाइत की जड़ को निश्चय ही मजबूत करेगा।








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