2008-11-19 13:22:38

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
19 नवम्बर, 2008 को दिया गया
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-

प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा में हम पुनः संत पौल के जीवन पर विचार करें।

संत पौल ने दमस्कुस के रास्ते में पुनर्जीवित येसु का अनुभव किया था। इस दिव्य अनुभव के बाद उसने इस बात को पूरे विश्वास के साथ लोगों को बताया कि हम धर्मी और पवित्र अपनी शक्ति से नहीं बनाये गये हैं पर पुनर्जीवित येसु की शक्ति से हम पवित्र बनाये गये हैं।

प्रभु येस ने हमारे लिये दुःख उठाया और हमें हर प्रकार के वरदान से परिपूर्ण कर दिया है। उन्होंने अपने कू्स की मृत्यु के द्वारा हमें प्रज्ञा धार्मिकता और मुक्ति प्रदान की है ।

संत पौल का मानना है कि हममें जो अच्छाई है वह इसलिये कि प्रभु ने हमारे लिये अपने प्राण दे दिये।

संत पौल हमें यह भी बताते हैं कि ईश्वर ने अब्राहम को प्रतिज्ञा की थी कि वह एक विधान प्रदान करेगा।

उसी के अनुसार मूसा का नियम इस्राएलियों के लिये ईश्वर की ओर से एक अऩुपम वरदान स्वरूप मिला। इस नियम को ईसा मसीह ने को परिपूर्ण कर दिया है। पुराने नियम येसु ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा इस नियम को नवीन कर दिया है।

आज हम संत पौल के साथ ही क्रूस पर गर्व करें और ईश्वर को धन्यवाद दे कि उन्होंने हमे येसु के साथ एक होने का वरदान दिया है।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।

उन्होंने फिनलैंड, इंगलैंड, नोर्वे दक्षिणी अफ्रीका, स्वीडेन, डेनमार्क, और अमेरिका के तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और उपस्थित लोगों और उनके परिवारों को खुशी और शाति का अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।













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