भरननगनम, केरल 14 नवम्बर। जिन धर्म बहनों ने इस बर्ष फ्रांसिसकन क्लारिस्ट धर्मसमाज में
प्रवेश किया उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्हें संत अल्फोंसा के जीवन ने धर्मसमाजी बनने
के लिये प्रेरित किया। हेलेन नामक एक सिस्टर ने जो केन्या की है कहा कि उसे धर्मसमाज
में प्रवेश करने की प्रेरणा संत अल्फोंसा की जीवनी से मिली। ज्ञात हो कि सिस्टर हेलेन
ने 8 नवम्बर को जीवन मन्नत लिया और जीवनभर के लिये अपने आपको ईश्वर की सेवा के लिये सौंप
दिया। ज्ञात हो कि संत अल्फोंसा के जीवन के लिये ईश्वर को धन्यवाद देने के लिये संत
के पैतृक गाँव भरननगनम में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया था। इस नौ दिवसीय समारोह
के समय 98 नयी धर्मसमाजी सिस्टरों ऩे संत अल्फोंसा के धर्मसमाज में प्रवेश किया। 8
नवम्बर को चार घंटे तक चलने वाले इस भव्य समारोह में तीस हज़ार लोगों ने भाग लिया। सेवानिवृत
धर्माध्यक्ष जोसेफ परिकापारंबिल ने यूखरिस्तीय समारोह सम्पन्न किया। इस अवसर पर सिस्टर
शारोन मिंज ने यूकान को बताया कि जब कभी भी उसके जीवन में कोई कठिनाइयाँ आयीं तो उसने
संत अल्फोंसा से प्रार्थना किया कि वे उन्हें बतायें कि दुःख किस प्रकार से उठाना है
और किस प्रकार से अपनी बुलाहट में मजबूत बने रहना है। उसने यह भी बताया कि संत अल्फोंसा
ने उसे बताया कि उसे अपने सब दुःख को प्रभु के प्यार के लिये अर्पित कर देना है। धर्मसमाज
की सुपीरियर जेनरल सीलिया मंकुरियिल के अनुसार संत अल्फोंसा का सरल जीवन और येसु के
प्रति विशेष लगाव अनेक युवतियो को बहुत प्रभावित कर रही है। उनके अनुसार फ्रांसिस्कन
क्लारिस्ट धर्मसमाज में सिस्टरों की कुल संख्या 6,783 है और पूरे विश्व के 20 प्रोविंशो
में फैले हुए हैं। इस धर्म समाज की सिस्टरें भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, जर्मनी, केन्या,
मालावी, साउथ अफ्रीका, स्विटजरलैंड, तैवान और अमेरिका कार्यरत