बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के
प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने
कहा-
प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षा में हम पुनः संत पौल की धर्मशिक्षा
पर मनन करें। संत पौल विश्वास था कि जब येसु मसीह दुनिया के अन्त में फिर आवेंगे तो वे
महिमा के साथ प्रकट होंगे और उनके साथ दुनिया के वे लोग भी होंगे जिन्होंने उन पर विश्वास
और आस्था के साथ जीवन बिताया।
ईसा मसीह ने जिस राज्य की स्थापना की बात की थी
उसके स्थापित होने की प्रक्रिया शुरु हो गयी है। संत पौल बताते हैं कि जिन्होंने पवित्र
आत्मा को ग्रहण किया वे उस घड़ी का बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं जब येसु की महिमा पूर्ण
रूप से विश्वासियों पर प्रकट हो जायेगी।
संत पौल लोगों को इस बात की याद दिलाते
है कि दुनियावी जीवन में कई दुःख-तकलीफ और चुनौतियाँ हैं पर स्वर्ग की खुशी और महिमा
के आगे वे कुछ भी नहीं हैं। इसी लिये हम आशा और धैर्यपूर्वक महिमान्वित येसु की राह देखते
रहें।
संत पौल हमें वताना चाहते हैं कि ईश्वर का राज्य हमारे बीच में आ गया है
फिर भी हम इसकी परिपूर्णता का इंतज़ार आशा के साथ करते रहें।
जिस आशा की संत
पौल ने चर्चा की है उसी आशा के साथ आरंभिक कलीसिया के ईसाइयों ने प्रार्थना बनायी थी
वह आज भी बहुत लोकप्रिय है।
उनकी प्रार्थना थी " मराना था " अर्थात् ' आइये प्रभु
येसु आइये '। आज हमें भी चाहिये कि हम अपने दुःखों को ईश्वर को चढ़ाते रहें और पूरे धैर्य,
उत्साह और आशा येसु के पुनरागमन का इंतज़ार करें।
इतना कहकर संत पापा ने
अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने इंगलैंड, फिलीपींस, नाईजिरिया, अमेरिका तथा उपस्थित
तीर्थयात्रियों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और
सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।