देवदूत संदेश प्रार्थना से पूर्व दिया गया संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का संदेश
श्रोताओ, रविवार 9 नवम्बर को रोम स्थित संत पेत्रुस महामंदिर के प्रांगण में देश विदेश
से एकत्रित लगभग 30 हजार तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इस प्रार्थना से पूर्व दिये गये संदेश में उन्होंने
कहाः-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज की पूजन धर्मविधि पंचाग में संत जोन
लातेरन महामंदिर के समर्पण का त्योहार मनाया जाता है। यह महामंदिर विश्व और रोम शहर के
सब गिरजाघरों में प्रमुख और माँ गिरजाघर है। यह महामंदिर सन 313 में सम्राट कोन्सटनटीन
द्वारा ईसाईयों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान करने हेतु दिये गये आदेश
के बाद बनाये जानेवाला प्रथम गिरजाघर था। सम्राट ने संत पापा मिलतयादेस को लातेरन परिवार
की प्राचीन सम्पत्ति भी दिया तथा इस भूमि पर महामंदिर और रोम के धर्माध्यक्ष के लिए निवास
बनवाया जहाँ संत पापा अविगनोन काल तक निवास करते रहे। लातेरन महामंदिर का समर्पण संत
पापा सिलवेस्तर द्वारा लगभग 324 में किया गया तथा इसका नाम सर्वोच्च पवित्र मुक्तिदाता
के नाम पर रखा गया। छठी सदी के बाद इस महामंदिर के नाम में संत योहन बपतिस्ता और सुसमाचार
लेखक संत योहन का नाम जोड़ा गया और यही नाम सामान्य तौर पर जाना जाता है। पहले, यह पर्व
दिवस रोम शहर में ही मनाया जाता था लेकिन सन 1565 में इसे रोमी रीतिवाली सब गिरजाघरों
में मनाया जाने लगा। इस तरह इस पवित्र इमारत के प्रति सम्मान प्रकट कर रोमी कलीसिया के
प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त की जाती है जिसकी अंतियोक के संत इग्नासियुस इस तरह पुष्टि
करते हैं यह सम्पूर्ण काथलिक समुदाय पर प्रेम के बल पर नेतृत्व करती है।
पत्थरों
का मंदिर जीवित कलीसिया का प्रतीक है, ख्रीस्तीय समुदाय जिसे प्रेरित संत पेत्रुस और
संत पौलुस अपने पत्रों में आध्यात्मिक भवन कहते हैं। गिरजाघरों का सौंदर्य़ और सामंजस्य
ईश्वर को महिमा अर्पित कराता है। ये हमें आमंत्रित करते हैं कि सीमित और पापी मानव मन
परिवर्तन करें तथा संतों के संत येसु के साथ निकट एकात्मता में ब्रह्मांड को बनायें जो
व्यवस्थित तरीके से निर्मित संरचना है। प्रिय मित्रो, आज का पर्व उस रहस्य को मनाता
है जो सदैव ताजा है। ईश्वर संसार में आध्यात्मिक मंदिर, एक समुदाय का निर्माण करना चाहते
हैं जो आत्मा और सच्चाई में उनका स्तुति गान करे। यह स्मृति दिवस हमें भौतिक इमारतों
के महत्व का भी स्मरण कराता है जहाँ समुदाय ईश्वर की स्तुति करने के लिए एकत्र होता है।
प्रत्येक समुदाय का दायित्व है कि वह अपनी पवित्र इमारतों की देखरेख करे जो बहुमूल्य
धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत की रचना करता है। हम अति पवित्र माँ मरियम की मध्यस्थता
की याचना करें ताकि वे हमें अपने समान ईश्वर का घर , उनके प्रेम का जीवित मंदिर बनने
में सहायता करें।
इतना कहकर संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया
और तीर्थयात्रियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।