2008-11-07 15:27:15

संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने लिथुआनिया के नये राजदूत का प्रत्यय पत्र स्वीकारा


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने वाटिकन के लिए नवनियुक्त लिथुआनिया के राजदूत व्यताउतास अलीसाउसकास का प्रत्यय पत्र शुक्रवार को स्वीकार कर इस अवसर पर दिये संदेश में कहा कि लिथुआनिया में ख्रीस्तीयता का इतिहास संत कासिमीर और उनके पहले भी बहुत समय से रहा है। हाल की सदियों में लिथुआनिया की जनता ने अपने विश्वास के बल पर विदेशी शासन और अत्याचार का सामना किया तथा अपनी पहचान को सुरक्षित रख इसे सुदृढ़ किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह देश उन मूल्यों का साक्ष्य दे सकता है जिन्होंने लोगों को उन कठिन वर्षों में जीवित रहने में मदद किया। संत पापा ने कहा कि जो समाज अपने सृष्टिकर्त्ता ईश्वर का इंकार करता है वह अपने सौंदर्य, सत्य और मानव जीवन के प्रति अच्छाई के भाव को खोने लगता है। तानाशाही प्रशासन का अनुभव कर चुकी पीढ़ी के बाद की पीढ़ी में राजनैतिक स्वतंत्रता को सहजता से लेने की प्रवृत्ति होती है। इसलिए यद्यपि समाज स्वतंत्र है तथापि विभाजन और नैतिक भ्रम से वह पीड़ित होने लगता है। इस संदर्भ में यह अति महत्वपूर्ण है कि लिथुवानिया और वस्तुतः सम्पूर्ण यूरोप अपनी इतिहास की याद को परिष्कृत करे जिसने इसकी रचना की ताकि यह अपनी यथार्थ पहचान को सुरक्षित रख इक्कीसवीं सदी के विश्व में विकास करे। उन्होंने कहा कि ईश्वर प्रेम है इस आशा का संदेश प्रदान करने में कलीसिया को महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी है। समाज को चाहिए कि वह भौतिक वस्तुओं के प्रलेभन से ऊपर उठकर मानव प्राणी के कल्याण का प्रसार करनेवाले मूल्यों को अपनाये।








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