2008-11-03 12:23:00

वाटिकन सिटीः इस वर्ष स्वर्ग सिधारे कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों के आदर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा ख्रीस्तयाग अर्पित


वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सोमवार को इस वर्ष स्वर्ग सिधारे कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों के आदर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने मृत कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों द्वारा सार्वभौमिक कलीसिया के प्रति उनकी अनुपम सेवाओं का ध्यान किया तथा उनके द्वारा सम्पन्न कार्यों के लिये प्रभु ईश्वर के प्रति कोटिशः धन्यवाद ज्ञापित किया।

स्मरण रहे कि नवम्बर माह में काथलिक धर्मानुयायी मृत आत्माओं की विशेष याद कर उनकी चिर शांति हेतु सर्वशक्तिमान् ईश्वर की करूणा का आव्हान करते हैं। ख्रीस्तयाग प्रवचन में जीवन एवं मृत्यु के ख्रीस्तीय मर्म को समझाते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि संसार उस व्यक्ति को उच्च कोटि का मानता है जो दीर्घायु तक जीता है जबकि उम्र से अधिक वे बातें महत्वपूर्ण होती हैं जिन्हें ईश्वर की आँखें देखती हैं। उन्होंने कहा कि संसार बुद्धि एवं विवेक को महत्व देता है जबकि प्रभु ईश्वर व्यक्ति का मन परखते हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में यथार्थ जीवन और अनन्त जीवन की शुरुआत धरती पर ही हो जाती है। इस धरती पर ही हमें ईश्वर के रहस्यों को जानने तथा उनका स्वागत करने के अवसर मिलते हैं। यदि हम अपनी क्षमताओं के साथ ईश्वर के रहस्यों का स्वागत करते तथा सब बुराईयों से दूर रहकर उनके नियमों के अनुकूल जीवन यापन करते है तो अपने आप ही हम अनन्त जीवन में प्रवेश पाते हैं।

सन्त पापा ने कहा कि मानव जीवन तब ही साकार हो सकता है जब मनुष्य इस बात को स्वीकार कर ले कि ईश्वर ही यथार्थ प्रज्ञा हैं जो कभी वृद्ध नहीं होती, ईश्वर ही यथार्थ धन है जो कभी समाप्त नहीं होता, ईश्वर ही वह सुख और वह असीम आनन्द हैं जिसकी तृष्णा प्रत्येक मानव मन में नित्य बनी रहती है। सन्त पापा ने कहा कि मृत्यु के समक्ष इस संसार की सभी घड़ियाँ रुक जाती तथा वही प्रकाशमान होता है जिसका सचमुच में कुछ मूल्य होता है। अस्तु, यह स्वीकार कर ही कि मनुष्य ईश्वर नहीं है, मनुष्य ईश्वर में जीवन यापन करते हुए, अनन्त जीवन की ओर अग्रसर हो सकता है।











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