2008-10-30 16:17:13

विश्व के अनेक क्षेत्रों में धार्मिक स्वतंत्रता को गंभीर चुनौतियाँ


संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिल्योरे ने महासभा के 63 वें सत्र में तृतीय समिति को 29 अक्तूबर को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के 60 वर्ष बीत जाने के बाद भी धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को हकीकत बनाया जाना शेष है। उन्होंने कहा कि विश्व के अनेक क्षेत्रों में अब भी विचार, अंतःकरण और धर्म की स्वतंत्रता गंभीर चुनौतियों का सामना करती है। विश्व के अनेक भागों में सब धर्मों के सदस्य उत्पीड़ित किये जाते हैं। भारत, इराक और विश्व के अन्य भागों में ख्रीस्तीयों के विरूद्ध हाल में की गयी हिंसा, धार्मिक, सामाजिक और मानवतावादी संरचनाओं का विनाश गहन चिंता का कारण है। उन्होंने कहा इस प्रकार के हमले विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के स्तर पर सामयिक और संगठित प्रयासों की ओर और अधिक ध्यान देने की जरूरत को रेखांकित करते हैं ताकि किसी भी देश में धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा और प्रसार हो। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को धर्म मानने और बिना डर, दबाव या हिंसा के धर्म परिवर्तन करने की आजादी मिलनी चाहिए। महाधर्माध्यक्ष मिल्योरे ने कहा कि वैश्वीकृत विश्व में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए व्यक्ति द्वारा स्वतंत्रतापूर्वक अपने धर्म का पालन करने को सरकारें तथा समाज स्वीकार करे।








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