2008-10-30 15:56:26

अंतर धार्मिक विचार विमर्श के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय यहूदी समिति के प्रतिनिधिमंडल को संत पापा का संदेश


संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अंतरधार्मिक विचार विमर्श के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय यहूदी समिति के एक प्रतिनिधिमंडल को 30 अक्तूबर को सम्बोधित करते हुए कहा कि वाटिकन और इस समिति के बीच विगत 30 वर्षों से अधिक समय से जारी फलप्रद सम्पर्क ने यहूदियों और काथलिकों के मध्य समझदारी और स्वीकृति को बढ़ावा देने में विशेष योगदान किया है। द्वितीय वाटिकन महासभा का दस्तावेज नोस्त्रा ऐताते में वर्णित ऐतिहासिक सिद्धान्तों को लागू करने के लिए कलीसिया के समर्पण की वे पुर्नपुष्टि करते हैं। इसने कलीसिया और यहूदियों के बीच संबंध की नवीन ईशशास्त्रीय समझ का आह्वान किया था। संत पापा ने कहा कि ईश्वर के प्रेम,दया और सत्य का वर्तमान समय में सामान्य साक्ष्य देना एक महत्वपूर्ण सेवा है जब मानव की मर्यादा, सहदयता, न्याय और नैतिक मूल्यों का गारंटी प्रदान करनेवाले आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के खो जाने का खतरा है। उन्होंने कहा कि निर्धनता, हिंसा और अत्याचार से पीड़ित विश्व में संस्कृतियों और धर्मों के बीच वार्ता को उनके द्वारा एक पवित्र कर्तव्य के रूप में देखा जाये जो एक अच्छे विश्व का रचना करना चाहते हैं। संत पापा ने कहा कि एक दूसरे को स्वीकार करने और सम्मान देने की क्षमता तथा प्रेम पर आधारित सत्य का व्यक्त करना विभिन्नताओं, गलतफहमियों और गैर जरूरी संघर्षों को दूर करने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि ईमानदार वार्ता के लिए खुलापन और दोनों पक्षों की अस्मिता के प्रति दृढ़ भाव होना चाहिए ताकि एक दूसरे के वरदानों से दोनों पक्ष समृद्ध बनें। न्यूयार्क, पेरिस और वाटिकन में यहूदी समुदायों के साथ हाल में सम्पन्न अपनी बैठकों का सहर्ष स्मरण करते हुए संत पापा ने ईश्वर को धन्यवाद दिया। उन्होंने समिति के सदस्यों को ख्रीस्तीय-यहूदी संबंध के महत्वपूर्ण कार्य में धैर्य और नवीन समर्पण के साथ लगे रहने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया एवं बुडापेस्ट में सम्पन्न होनेवाली आगामी बैठक के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं।








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