द्वितीय वाटिकन महासभा और इसके दस्तावेजों के प्रति हमसब कुछ न कुछ ऋणी हैं
संत पापा जोन पौल द्वितीय के परमाध्यक्षीय काल में द्वितीय वाटिकन शीर्षक से 30 अक्तूबर
तक रोम में सम्पन्न हो रहे सम्मेलन को भेजे गये संदेश में संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने कहा है कि द्वितीय वाटिकन महासभा और इसके दस्तावेजों के प्रति हमसब कुछ न कुछ ऋणी
हैं। समय व्यतीत होने के साथ ही इन दस्तावेजों की सार्थकता कम नहीं हुई है लेकिन वस्तुतः
कलीसिया और वर्तमान वैश्विक समाज की नयी जरूरतों के प्रति ये और अधिक विशिष्ट रूप से
सार्थक प्रतीत होते हैं। उन्होंने कहा कि जोन पौल द्वितीय ने अपने प्रत्येक दस्तावेज
तथा संत पापा के रूप में अपने प्रत्येक निर्णय, चुनाव और व्यवहार में द्वितीय वाटिकन
महासभा के मौलिक अपेक्षाओं को लागू किया और इसके आदर्श साक्षी बने। वे सदैव जागरूक थे
कि प्रत्येक व्यक्ति यह जाने कि द्वितीय वाटिकन महासभा के दृष्टिकोण को लागू करने से
क्या क्या लाभ हो सकते हैं जो न केवल कलीसिया के लिए लेकिन समाज और सबलोगों के लिए लाभदायक
होगा। अपने संदेश के समापन में संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा
के धर्माचार्यों के लिए कलीसिया के नवीनीकरण से जुड़े प्रत्येक तत्च का अंतिम उददेश्य
ईश्वर की और अग्रसर होना है जिसने स्वयं को येसु ख्रीस्त में प्रकट किया था।