राज्य पुलिस अविश्वसनीय, सी.बी.आई. ही जाँच करे- सिस्टर मीना
उड़ीसा के कंधमाल में ईसाई विरोधी हिंसा के दौरान बलात्कार पीड़िता सिस्टर मीना ने सरकार
से माँग की है कि इसकी जाँच सी.बी.आई. से की करायी जाये। दिल्ली के इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट
सभागार में 23 अक्तूबर को आयोजित खचाखच भरे एक संवाददाता सम्मेलन में 28 वर्षीय मीना
ने बताया कि किस प्रकार दरिन्दों ने सरेआम उसके साथ कुकर्म किया। उन्होंने यह भी
आरोप लगाया कि मौके पर उपस्थित पुलिस ने भी कायरतापूर्वक उसके आग्रह को ठुकराते हुए
कुकर्मियों का सहयोग किया। सिस्टर मीना ने संवाददाता सम्मेलन के लिये खुद ही हाथ
से लिखे बयान तैयार किये थे। प्रेस कोन्फेरेन्स में पत्रकारों को कोई भी सवाल पूछने की
अनुमति नहीं दी गयी। सिस्टर मीना के अनुसार 24 अगस्त करीब साढ़े चार बजे एक उत्तेजित
भीड़ को दिव्य ज्योति पास्टोरल सेंटर में की ओर आते देख सिस्टर जंगल की शरण ली। जब
अतिवादी हिंदुओं ने पास्टोरल सेंटर में आग लगा देने के बाद भाग गये तब सिस्टर लौटी और
फादर थोमस चेलन के साथ प्रहलाद नामक एक सज्जन हिंदु के घर में शरण ली। दूसरे दिन
करीब एक बज कर तीस मिनट पर हथियारों से लैस फिर करीब 40-50 लोग आये और घर का दरवाजा
तोड़ा और उन्होंने फादर चेलन और सिस्टर को खोज निकाला और उनके साथ बदसलुकी की। उन्हें
मारा पीटा और उनके वस्त्र को फाड़ डाले और सबके सामने कुकर्म किया। अपने बयान में
सिस्टर ने यह भी आरोप लगाया है कि जब भीड़ ने उन्हें और फादर को नवगाँव नामक स्थान तक
पैदल चलवाया तब वहाँ की पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस को उसने गुहार लगायी और जाकर दो पुलिसकर्मयों
के बीच में बैठ गयी पर पुलिस ने कोई मदद नहीं की। इसके ठीक विपरीत पुलिस ने अपनी
अक्षमता और कायरता का परिचय दिया। सिस्टर मीना ने कहा कि राज्य पुलिस ने एक निरीह पीड़िता
की आवाज़ अनसुनी कर दी है और कानून के भक्षकों के साथ सहयोग किया। पुलिस ने पूरा
प्रयास किया कि एफआईआर न लिखा जाये। पुलिस ने मेरे बयानों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत
किया। संवाददाता सम्मेलन के अन्त में सिस्टर मीना ने कहा कि ईश्वर आपको बचाये और
भारत को बचाये। उन्होंने फिर कहा की राज्य की पुलिस ने मेरी रक्षा नहीं की और अब
मैं दोबारा पुलिस के बलात्कार का शिकार नहीं हो सकती अतः मेरी माँग है कि इस अमानुषिक
कृत्य की जाँच सीबीआई से हो।