कर्नाटक में दलित संघर्ष समिति के समन्वयककर्त्ता मवाल्ली शंकर ने पत्रकारों को बताया
कि 30 अक्तूबर को बैंगलोर में आयोजित एक समारोह में दलित वर्ग के 5,000 व्यक्ति बौद्ध
धर्म का आलिंगन करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के नागरिकों को किसी भी धर्म के चयन तथा
उसके अनुपालन का संवैधानिक अधिकार है और इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता।
श्री
शंकर ने कहा कि हाल में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हुई हिंसा के समय गिरजाघरों को आक्रमण
से बचाने के बजाय कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुर्रप्पा धर्मान्तरण के विरुद्ध नीतियाँ
बनाने में लगे थे। उन्होंने कहा कि उनका पहला काम हिंसा को रोकना होना चाहिये था किन्तु
इसे मुख्यमंत्री ने नज़रअन्दाज़ कर दिया। दलित संघर्ष समिति के श्री शंकर ने कहा कि कुछ
हिन्दु नेता धर्मान्तरण को हिन्दु धर्म पर ख़तरा बताते हैं जबकि हकीकत यह है कि दलित
वर्ग के लोग उच्च हिन्दु जातियों द्वारा उत्पीड़ित किये जाते हैं क्योंकि हिन्दु समाज
अभी भी छूत अछूत से छुटकारा नहीं प्राप्त कर सका है।
श्री शंकर ने यह आरोप भी
लगाया कि जब हिन्दु अतिवादी नेता निर्धन लोगों का बलात धर्मातरण करते हैं तब उनपर कोई
कार्रवाई नहीं की जाती जबकि उनके उत्थान में लगे अन्य धर्मों के लोगों को नाना प्रकार
सताया जाता है।