निरस्त्रीकरण को मानवीय कल्याण की दृष्टि से देखना आवश्यकः पोप
निरस्त्रीकरण को मानवीय कल्याण की दृष्टि से देखना आवश्यक है क्योंकि देश की किसी भी
नीति का अंतिम लक्ष्य मानवीय कल्याण ही होता है। उक्त बातें संयुक्त राष्ट्र संघ में
संत पापा के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलिस्तिनो मिल्योरे ने उस समय कहा जब
वे यूएन की 63वें महासभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि हथियारों
के संबंध में मनुष्य की सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और नैतिक बातों पर विचार किये
बिना हथियारों की होड़ में शामिल होना मानव के लिये हितकारी नहीं है।
महाधर्माध्यक्ष
ने इस बात पर देशों का ध्यान आकर्षित किया कि कई बार दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति
सुरक्षा और सेना संबंधी नीतियों के कारण उत्पन्न हो जाती है।
एक ओर तो पूरी दुनिया
आतंकवाद के खिलाप लड़ाई की बात करते हुए परमाणु हथियारों को रोकने की बात करती है तो
दूसरी ओर कुछ अन्य देश परमाणु हथियारों का परीक्षण करने की बात करते हैं और इससे तनाव
कभी भी कम नहीं होता है।
इतना ही नहीं, इस प्रकार की दोहरी नीतियाँ संयुक्त राष्ट्र
संघ के बिल्कुल खिलाप है और इससे सदा ही विश्व में स्थायी शांति को खतरा बना रहता है।
हथियारों के संबंध में नियम परमाणु निरस्त्रीकरण और हथियारों की होड़ रोकने से ही मानव
की सुरक्षा निश्चित हो सकती है और मानव का उचित विकास संभव हो सकता है।
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा कि इस दिशा में प्रगति हो सकती है अगर विश्व के सब देश इस क्षेत्र में ईमानदारी
से योगदान करें
उन्होंने बताया कि संत पापा चाहते हैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को
चाहिये कि इस प्रकार के मामलों में ज्यादा संवेदनशीलता दिखाये और एक साथ जीने की भावना
को बढ़ावा दे और संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों के अनुपालन करने में अपनी सक्रियता
दिखलायें ताकि विश्व में हो रहे शांति प्रयासों को एक सही दिशा और गति मिल सके।