रोमः भारत में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा धार्मिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की
मांग करती है, कहना कार्डिनल बन्यास्को का
इटली के वरिष्ठ धर्माधिकारी तथा इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बन्यास्को
ने सोमवार को इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की त्रैमासिक सभा का उदघाटन करते हुए कहा कि
भारत में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध विगत माह से जारी हिंसा लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता
को रेखांकित करने की मांग करती है।
उन्होंने कहा कि भारत, पाकिस्तान तथा ईराक
में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा, ख्रीस्टियनोफोबिया अर्थात् ख्रीस्तीयों से भय की नई
प्रवृति की ओर राजनैतिक एवं सांस्कृतिक जगत का ध्यान आकर्षित करती है तथा इसके द्वारा
धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के प्रश्न को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि एक
हिन्दु नेता के मारे जाने के बाद ख्रीस्तीयों पर हत्या का झूठा आरोप लगाया गया तथा अन्यायपूर्वक
उनके विरुद्ध हिंसक कार्रवाई की गई। इस बात की ओर उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया कि विगत
एक माह से भारत के ख्रीस्तीय विश्व हिन्दु परिषद एवं बजरंग दल जैसे हिन्दु चरमपंथियों
की हिंसा के शिकार बने हुए हैं तथा पुलिस और प्रशासन से उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा
नहीं मिल रही है।
कार्डिनल बन्यास्को ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि विगत
माह आरम्भ हिंसा की वजह भारत के निर्धन लोगों के पक्ष में ख्रीस्तीयों द्वारा किये जा
रहे कल्याणकारी कार्य हैं। कार्डिनल महोदय के अनुसार भारत के एक निश्चित्त सामाजिक एवं
राजनैतिक वर्ग को आशंका है कि ख्रीस्तीयों के कल्याणकारी कार्य उनकी व्यवस्था को अस्थिर
कर देंगे इसीलिये वह ख्रीस्तीयों पर अत्याचार कर रहा है।
इस बात की ओर कार्डिनल
बन्यास्को ने ध्यान आकर्षित कराया कि भारत खुद को एक प्रजातांत्रिक राष्ट्र घोषित करता
है तथा अन्तरराष्ट्रीय पटल पर महान आकांक्षाएँ रखता है किन्तु यह लज्जा का विषय है कि
वह अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ प्रतीत हुआ है। उन्होंने कहा कि
विगत कई सप्ताहों से कानून और व्यवस्था को भंग करते हुए हिन्दु चरमपंथी दल हत्याएं करते
रहे हैं, गिरजाघरों, ख्रीस्तीय स्कूलों एवं आश्रमों में तोड़ फोड़ मचाते रहे हैं तथा
ख्रीस्तीयों के घरों एवं उनकी समपत्ति को जलाते रहे हैं जबकि प्रशासन मौन धारण किये हुए
है।
स्थानीय एवं अन्तरराष्ट्रीय मीडिया को भी कार्डिनल महोदय ने आड़े हाथों लिया
और कहा कि राष्ट्रीय मीडिया के पक्षपातपूर्ण रुख तथा मिथ्या प्रचार और साथ ही अन्तरराष्ट्रीय
मीडिया के मौन ने हिंसा को और अधिक भड़काया। उन्होंने कहा कि हिंसा के आरम्भ होते ही
27 अगस्त को केवल सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इसकी कड़ी निन्दा की थी।