अहिंसा और मेल-मिलाप के द्वारा ही घृणा और आतंकवाद पर विजय संभवः कार्डिनल टोप्पो
अहिंसा और मेल मिलाप के द्वारा ही घृणा और आतंकवाद पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।
उक्त बातें एशिया का प्रथम आदिवासी कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो ने उस समय कहीं जब वे एशियान्यूज़
को ईसाइयों पर हाल में हुए लगातार हमलों पर अपनी प्रतिक्रया व्यक्त कर रहे थे। कार्डिनल
ने कहा कि भारतीय ईसाइयों पर हमला इस बात को दिखाता है कि कुछ संकीर्ण विचारधारा के लोग
देश को पूरी तरह से जातिवादी प्रथा के चंगुल से मुक्त नहीं होने देना चाहते हैं। राँची
के महाधर्माध्यक्ष ने इस बात को दुहराया कि गाँधी जी इस बात को बताते रहे कि हम सब एक
ही ईश्वर की संतान हैं और हम सब बराबर हैं। कोई भी बड़ा-छोटा नहीं है। आज भारत को राष्ट्रपिता
के इसी मिशन को अहिंसात्मक तरीकों से पूरा करना है। कार्डिनल ने कहा कि आज भारत कई
अर्थों में अंग्रेज शासन की पराधीनता के काल से भी बदतर हो गयी है। भारत के उन लोगों
को जो अभी तक अंधेरे में भटक रहे हैं को मुक्ति दिलाना है। देश के ही कुछ ऐसे लोग
हैं जो अपने ही लोगों को, जो ईसाई हैं जला रहें सिस्टरों को दूसरों की सेवा में अपना
जीवन समर्पित कर दिये हैं उनका बलात्कार कर रहें हैं और भगवान के घरों में आग लगा रहें
हैं ऐसे लोगों को सही मुक्ति दिलाना है। भारत के जो अतिवादी लोग इस प्रकार के कुकृत्यों
को बढावा देते हैं ऐसे लोगों को भी सही मार्ग दिखाना है अन्यथा भारत अब भी पराधीन है।
ऐसी पराधीनता का प्ररिणाम है - मृत्यु विभाजन और विनाश। इस संबंध में केन्द्रीय सरकार
ने एक ठोस कदम उठाते हुए संविधान की धारा 355 को लागू करने का निर्णय लिया है जो कि एक
प्रशंसनीय कदम है। ईश्वर की योजना ही निराली है। मेरा विश्वास है कि इसमें भी सत्य की
जीत होगी। उड़ीसा में फादरों, सिस्टरों और आम ईसाइसों ने अपने धीरज संयम और अपने विश्वास
का जो उदाहरण दिया है इससे ईसाई एकता और विश्वास मजबूत हुआ है। क्रूस ही में हमारी
शक्ति है और हमें उसी क्रूस का साक्ष्य देना है। हमें ईसा के समान अपने दुश्मनों को क्षमा
देना है ताकि हम येसु के समान ही विजयी हो सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमारे राष्ट्रीय
प्रतीक चिह्न में ठीक ही लिखा गया है ' सत्यमेव जयते ' सत्य की ही जीत होती है। आत्म
बलिदान और क्षमा से ही बुराई और अतिवादियों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। .