वसईः मदर तेरेसा का आदर्श ग्रहण कर वार्ता द्वारा चरमपंथ को रोकने हेतु धर्माध्यक्ष डाबरे
की अपील
उड़ीसा में विगत दिनों ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा की पृष्टभूमि में, मुम्बई के उपनगर
वसई में, शुक्रवार को, मदर तेरेसा के निधन की 11 वीं बरसी पर, विभिन्न धर्मों के नेताओं
को एकत्र कर, विशेष अन्तरधार्मिक सभा का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त, वसई के काथलिक
स्कूलों में भी, पाँच सितम्बर को, शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में, अन्तरधार्मिक चर्चाएं
एवं प्रार्थना सभाएं सम्पन्न हुई ताकि स्कूल के विद्यार्थियों को वार्ता, शांति, मैत्री
तथा धर्मों के बीच समझदारी का महत्व समझाया जा सके।
वसई के धर्माध्यक्ष थॉमस
डाबरे ने, इस सन्दर्भ में, एशिया समाचार से कहा कि उड़ीसा में, ख्रीस्तीयों के विरुद्ध
हाल में हुई बर्बर हिंसा की पृष्टभूमि में, विभिन्न धर्मों के बीच वार्ताओं द्वारा समझदारी
उत्पन्न करना नितान्त आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि चरमपंथियों का मिथ्या प्रचार
भारतीय समाज की संरचना को ही नष्ट कर रहा है तथा घृणा एवं असहिष्णुता को फैला रहा है
जिसे मिटाने का हर सम्भव प्रयास अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार
भारत में 80 प्रतिशत हिन्दु, 14 प्रतिशत इस्लाम तथा 2.4 प्रतिशत ख्रीस्तीय धर्मानुयायी
हैं इसलिये लालच देकर लोगों को ख्रीस्तीय धर्म के प्रति आकर्षित करने का आरोप सरासर ग़लत
एवं अन्यायपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि मदर तेरेसा ने धर्म के आधार पर किसी
के साथ भेदभाव नहीं किया तथा सभी ज़रूरत मन्दों की समान सेवा की। उन्होंने कहा कि उन्हीं
के आदर्शों पर चल, भारतवासी, वार्ताओं द्वारा एक दूसरे के धर्म और विश्वास के प्रति समझदारी
एवं सम्मान को प्रोत्साहित कर सब प्रकार की धर्मान्धता एवं चरमपंथ को पराजित कर सकते
तथा करूणा, प्रेम एवं भाई चारे की स्थापना कर सकते हैं।
धर्माध्यक्ष डाबरे ने
कहा कि अन्तरधार्मिक वार्ता, अन्तरधार्मिक सहयोग का अस्त्र बनकर, लोगों के बीच धारणीय
शांति की संस्कृति प्रोत्साहित करेगा।