2008-09-04 15:53:03

3 सितम्बर बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें का संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन स्थित संत पापा पौल षष्टम् सभागार में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों को संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहाः-


अति प्रिय भाइयो और बहनो

आज की धर्मशिक्षा माला संत पौलुस के मनपरिर्वतन पर केन्द्रित है। प्रेरित चरित में संत लूकस इस नाटकीय वृत्तांत का वर्णन करते हैं जिसमें दमिश्क के रास्ते में पौलुस कलीसिया पर अत्याचार करनेवाले कटटर अत्याचारी से एक उत्साही सुसमाचार प्रचारक में बदल गया। अपने पत्रों में पौलुस इस अनुभव को मनपरिवर्तन से कहीं अधिक प्रेरित बनने और सुसमाचार प्रचार करने के लिए अधिकृत किये जाने की बुलाहट कहते हैं।


प्रथम स्थान में, यह साक्षात्कार किसी अवधारणा या विचार से नहीं बल्कि स्वयं येसु से हुआ। वस्तुतः पौलुस न केवल अतीत के ऐतिहासिक येसु से मिले बल्कि जीवित ख्रीस्त से जिन्होंने स्वयं को मुक्तिदाता और प्रभु के रूप में प्रकट किया। उसी तरह हमारे अपने मनपरिवर्तन का अंतिम स्रोत न तो दर्शनशास्त्रीय सिद्धान्तों में है और न अमूर्त नियमों में बल्कि ख्रीस्त और उनके सुसमाचार में है। ख्रीस्तीय के रूप में हमारी पहचान को एकमात्र वे ही परिभाषित करते हैं क्योंकि उनमें हम हमारे जीवन के अंतिम अर्थ को पाते हैं। पौलुस जिसे ख्रीस्त ने अपना बना लिया था वे सुसमाचार का ही प्रचार कर सकते थे जिसे उन्होंने प्राप्त किया था। हमारे साथ भी यही है। हमारे मुक्तिदाता की महानता से छेदित हम भी संत पौलुस के समान ही दूसरों को उनके बारे में बतायें। इसे हम सदैव सहर्ष दृढ़तापूर्वक करें।


इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया और सब तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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