राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो ने कहा है भारत अंतर धार्मिक वार्ता
के जीवन का जीवित उदाहरण है क्योंकि भारत में सदियों से विभिन्न धर्मो एवं संस्कृति के
लोग साथ-साथ जीवन जीते रहे हैं। कार्डिनल ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे पूना में
सुसमाचार प्रचार विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। कार्डिनल
ने कहा कि हमारे देश के कोने-कोने में विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों और जातियों के लोग
रहते हैं उनके जीने का तौर-तरीका, खाने-पीने की आदत और पूजा के तौर तरीके अलग हैं पर
वे एक साथ जुड़े हुए हैं। एशिया के प्रथम आदिवासी कार्डिनल टोप्पो ने कहा कि पूर्वी
भारत में जो काथलिक कलीसिया का निर्माण मिशनरियों के द्वारा हुआ है, वह दुनिया के लिये
एक उदाहरण है, जहाँ मिशनरयों ने लोगों के विकास के लिये कार्य किये और उन्हें देश की
प्रगति की मुख्य धारा से जोड़ा ही, उनकी संस्कृति को भी बरकरार रखा। पूर्व सीबीसीआई
अध्यक्ष कार्डिनल टोप्पो ने कहा कि आज अंतरधार्मिक वार्ता के क्षेत्र में भारत को लोग
अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने अपने तुर्की के उस अनुभव की याद की जब उन्हें अन्तरधार्मिक
वार्ता के बारे में भारतीय अनुभवों को बताने के लिये आमंत्रित किया गया था। कार्डिनल
तेलेस्फोर टोप्पो ने कहा कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग विभिन्नताओं के बावजूद एक
साथ जी सकते हैं एक चमत्कार ही है। उन्होंने बाद में उकान समाचार एजेंन्सी को बताया
कि काथलिक कलीसिया की मुख्य चुनौति है अन्दर से है। धार्मिक कट्टरवाद काथलिक कलीसिया
को कभी भी कमजोर नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि कलीसिया में भी विभिन्न धार्मिक
और पूजन विधि के लोग हैं हमें चाहिये कि हम एकता बनाये रखें और वर्चस्व की दौड़ में पड़ने
के बजाय आपसी एकता से कलीसिया को मजबूत करें। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि काथलिक
धर्म को स्वीकार कर लेने से हम विदेशी नहीं हो जाते हैं जैसा कि कुछ हिन्दु धर्मावलंबियों
का विचार है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय काथलिक को चाहिये कि वह यह दिखाये कि वह
पूर्ण रूप से भारतीय हैं। दुसरों के परिधान से भारतीयता छीनी नहीं जा सकती।