2008-08-18 09:31:50

13 अगस्त, 2008 को बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश


बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कास्तेल गन्दोल्फो स्थित अपने ग्रीष्मकालीन आवास के प्रांगण में एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
प्रिय भाईयो एवं बहनों, ब्रेसानोने में अपने अवकाश के बाद मुझे आप लोगों से मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई। मैं आज उन सब लोग को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने ब्रेसानोने मेरी मेज़बानी की और मेरे लिये प्रार्थनायें की।

मैं आप लोगों यह बताना चाहता हूँ कि मैंने आप सबों के लिये प्रार्थनायें की हैं विशेष करके रोज दिन के यूखरिस्तीय समारोह में और पवित्र रोजरी करते समय मैंने आप लोगों के लिये ईश्वर से विशेष प्रार्थनायें की हैं।

मैं आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि मैं आपलोगों के लिये, पूरी कलीसिया और समूची मानव जाति के लिये जो मैं सबसे अच्छी सेवा कर सकता हूँ वह है मेरी प्रार्थना। मैं आप लोगों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैंने आपके निवेदनों को ईश्वर के हाथ में सौप दिया है।

आप कभी हिम्मत न हारें और जीवन की विपरीत परिस्थितियों में आशामय जीवन बितायें। कलीसिया के इतिहास में कई लोगों ने आशामय जीवन बिताया है। आज मैं सिर्फ दो संतों के नाम लेना चाहूँगा जिनका पर्व हम इन दिनों में मना रहे हैं।

क्रूस की संत बेनेदिक्ता एडित स्टेइन जिसका पर्व हमने 9 अगस्त को मनाया है और संत मक्सीमिलियन कोल्बे जिसका पर्व दिवस हम माता मरियम के स्वर्गोरोहण के पर्व के पूर्व अर्थात् 14 अगस्त को मनायेंगे।

दोनों संतों ने येसु के लिये ऑसविज़ के कैंप में शहादत को स्वीकार किया। अगर दुनियावी दृष्टि से देखा जाये तो हम इसे जीवन की पराजय समझ सकते हैं पर इस शहादत से प्रेम की जो दिव्य चमक निकली उसने स्वार्थ और घृणा के अंधकार पर विजय प्राप्त कर ली।

नाज़ी शासन के दरमियान जो धर्मसतावट हो रही थी उस समय उन्होंने कहा था प्रेम में जो सकारात्मक शक्ति वह घृणा में नहीं है। उन्होंने 14 अगस्त सन् 1941 को खुद को नाज़ियों के हवाले कर दिया ताकि एक व्यक्ति की जान बच जाये।

कोल्बे ने मरने के पूर्व प्रणाम मरिया की प्रार्थना कहीं और तब उसे कार्बोरिक एसिड दिया गया और तब वे शहीद हो गये।

ठीक इसी प्रकार एडित स्टेइन ने 9 अगस्त 1942 को ने अपने मठ की कुछ सिस्टरों को अपने साथ नाज़ियों के द्वारा बुलाया गया तब उसने कहा कि वे येसु के लिये अपना सब कुछ देने को तैयार है। तब उन्हें गैस के चैंबर में डाल दिया गया और वे शहीद हो गयीं।

भाइयो एवं बहनों, 15 अगस्त को हम लोग माता मरिया के स्वर्गोरोहण का त्योहार मनाने जा रह हैं।

हम माता मरिया से प्रार्थना करें कि वे हमारी इच्छाओं को पवित्र करें और हमें आशा से भर दें ताकि हम भी उन्हीं संतों की तरह ही येसु के लिये दुःख उठायें और एक दिन ईश्वर के राज्य में पहुँच सकें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया। उन्होंने तीर्थयात्रियों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
 

  







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