इटली के दोलोमीती पर्वतीय क्षेत्र स्थित ओईस पल्ली से मंगलवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने चीन का आव्हान किया कि वह ख्रीस्तीय धर्म के प्रति उदार बने।
मंगलवार
को सन्त पापा ने 19 वीं शताब्दी के सन्त जोसफ फ्रायनाडेमेट्स के जन्म स्थल की भेंट की
जो मिशनरी रूप में चीन भेजे गये थे तथा जिनका निधन चीन में ही हो गया था। इस अवसर पर
सन्त पापा ने कहा कि चीन जैसे महान देश के लिये यह महत्वपूर्ण है कि वह स्वतः को सुसमाचार
के प्रति उदार बनाये।
रविवार को भी देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा ने बैजिंग
में आयोजित ऑलम्पिक खेलों के लिये चीन को शुभकामनाएँ प्रेषित की थी और आशा व्यक्त की
थी कि ये खेल विभिन्न देशों के लोगों के बीच सहअस्तित्व का आदर्श सिद्ध होंगे। वस्तुतः
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने चीन के साथ सम्बन्धों को सुधारना अपनी परमाध्यक्षीय प्रेरिताई
की प्राथमिकता माना है।
चीन की साम्यवादी सरकार ने सन् 1951 में वाटिकन के साथ
सम्बन्ध भंग कर लिये थे।
चीन में काथलिकों की संख्या एक करोड़ 20 लाख बताई जाती
है जिनमें से लगभग साठ लाख से अधिक गुप्त रूप से अपने धर्म पालन के लिये बाध्य हैं क्योंकि
चीनी अधिकारी केवल सरकार नियंत्रित देशभक्त कलीसिया में पंजीकृत होने वालों को ही धर्मपालन
की अनुमति देते हैं।
मंगलवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट हेलिकॉप्टर से इटली के दोलोमीती
पर्वतीय क्षेत्र स्थित ओईस पल्ली पहुँचे जहाँ से 130 वर्ष पूर्व दिव्य शब्द धर्मसमाज
के जोसफ फ्रायनाडेमेट्स ने चीन के लिये प्रस्थान किया था तथा सन् 1908 में अपनी मृत्यु
तक वहीं रहे थे। यहाँ उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा ने विश्व में बढ़ते
चीन के प्रभाव का स्मरण दिलाया तथा कहा कि फ्रायनाडेमेट्स आज के सन्त एवं भविष्य के संकेत
हैं।
सन् 2003 में, स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने प्रभु सेवक फ्रायनाडेमेट्स
को काथलिक कलीसिया का सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था।