मेक्सिको में 3 से 8 अगस्त तक आयोजित सतरहवीं एडस अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन
' एडस 2008 ' में विचार-विमर्श का केन्द्र-बिन्दु एडस पीड़ित बच्चे होना चाहिये। अगर
ऐसा नहीं हुआ तो फिर एक बार एडस सम्मेलन बहुत ही खर्चीला एडस संबंधी बहस का एक दुकान
मात्र रह जायेगा। उक्त विचार वर्ल्ड विज़न नामक एक ईसाई संस्थान ने दिये हैं जो एच आई
वी और एडस से ग्रस्त लोगों कार्य करती है। इस प्रतिष्ठित संस्थान ने कहा है कि इस सम्मेलन
में भाग लेने वालों को चाहिये कि वे ऐसा निर्णय लें कि दुनिया के सब लोग इस भयंकर बीमारी
की रोकथाम और निदान के लिये अपने आपको समर्पित कर सकें। लोग माँ से बच्चे में जाने वाले
एडस की बीमारी की रोकथाम के लिये कोई ठोस निर्णय करें इसके निदान के लिये उपाय खोजें
और एडस से ग्रसित लोगों की देखभाल के लिये भी कोई ठोस निर्णय लें। इस संस्थान ने यह
भी बताया कि 15 लाख बच्चे इस विश्वव्यापी बीमारी से अनाथ हो गये हैं और प्रत्येक सप्ताह
हज़ारों बच्चे इसके संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। अपने सर्वेक्षण के अनुसार उन्होंने
पाया है कि 15 साल से कम उम्र के हैं करीब 1200 बच्चे प्रति दिन इस रोग के शिकार हो जाते
हैं और उनमें 90 फीसदी लोगों में इस रोग का संक्रमण अपनी माताओं से होता है। वर्ल्ड विज़न
की निदेशिका मार्था ने कहा है कि कई शीर्ष सम्मेलनों में बच्चों के भविष्य पर कम विचार-विमर्श
किये जाते हैं। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की है कि अगर इस सम्मेलन में भाग लेने वाले
करीब 22 हज़ार लोग इस बात पर ध्यान देंगे कि माता से बच्चे पर संक्रमण रोका जाये तो यह
एडस को फैलने की दिशा में एक मह्त्वपूर्ण उपलब्धि होगी। “ |