जिनिवा में विगत नौ दिनों तक जारी विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों की वार्ता मंगलवार
को बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई। अमेरिका तथा भारत व चीन के बीच गरीब देशों
के किसानों को संरक्षण देने के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो पाना उक्त वार्ताओं की विफलता
का कारण बताया जा रहा है। अमेरिका, किसानों को खुले बाजार के खतरों से बचाने के लिये,
भारत और अन्य विकासशील देशों को कोई छूट देने के लिए राजी नहीं है। 30 देशों के वाणिज्य
मंत्री सन् 2001 में आरम्भ दोहा दौर पर एक विश्व व्यापार समझौते के लिए नए प्रस्तावों
को लेकर चर्चा हेतु 21 जुलाई को जिनिवा पहुँचे थे। बातचीत के दौरान किसानों को दी जानेवाली
सब्सिडी और आयात शुल्कों में कटौती को लेकर गंभीर चर्चा हुई किन्तु किसी नतीज़े पर पहुँचा
नहीं जा सका। एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि अमेरिका अपनी ज़िद्द पर अटल है तथा चाहता
है कि विकासशील देश धनी राष्ट्रों के लिये अपने दरवाज़े खोलें जबकि भारत तथा चीन जैसे
विकासशील देश अपने किसानों की जीविका के बारे में चिन्तित हैं। अमरीका और यूरोपीय संघ
के अमीर देश चाहते हैं कि भारत और चीन जैसे बड़े बाज़ार उनके सेवा उत्पादों के लिये अपने
बाज़ार खोलें जबकि विकासशील देश चाहते हैं कि धनी देश अपने बाज़ारों को विकासशील देशों
के कृषि उत्पादों के लिये खोल दें। भारत की यह भी मांग रही कि आयातों में 10 फीसदी की
वृद्धि होने पर विकासशील देशों को ऊंचे आयात शुल्क लगाने का अधिकार मिलना चाहिए। भारतीय
वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि अमरीका अपने व्यवसायिक हितों की रक्षा करना चाहता है
जबकि हम ग़रीब किसानों की जीविका के साधनों के प्रति चिन्तित हैं। इन्हीं विवादों के
चलते जिनीवा में विश्व व्यापार संगठन की वार्ताएँ, बिना किसी समझौते के, विफल हो गईं।