देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
श्रोताओ, रविवार 27 जुलाई को, रोम शहर के परिसर में, कास्तेल गोनदोलफो स्थित परमधर्मपीठीय
प्रेरितिक प्रासाद के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
ने दर्शन दिये तथा उनके साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व अपने सम्बोधन में
सन्त पापा ने कहाः
“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विगत सोमवार को ही मैं आस्ट्रेलिया
के सिडनी शहर से लौटा हूँ जहाँ 23 वाँ विश्व युवा सम्मेलन आयोजित किया गया था। अभी भी
मेरी आखों एवं मेरे हृदय में वह अद्भुत अनुभव समाया हुआ है जिसमें मुझे कलीसिया के युवा
चेहरे के साक्षात्कार का सौभाग्य प्राप्त हुआः युवाओं को वहाँ देखना एक बहुवर्णीय रंगीन
मोज़ेक चित्र के सदृश था जो धरती के विभिन्न भागों से आने के बावजूद येसु ख्रीस्त में
एक ही विश्वास से एकता में सूत्रबद्ध थे। "Young Pilgrims of the World " – विश्व के
युवा तीर्थयात्री, जी हाँ, इसी नाम से लोग उन्हें पुकारते थे जो स्व. सन्त पापा जॉन पौल
द्वितीय द्वारा स्थापित विश्व युवा दिवस के मर्म को समझाने की एक बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
है। वस्तुतः, इस प्रकार के सम्मेलन धरती से गुज़रती हमारी महान तीर्थयात्रा के विभिन्न
चरण हैं ताकि यह दर्शाया जा सके कि ख्रीस्त में विश्वास, किस प्रकार हमें, स्वर्ग में
निवास करने वाले एकमात्र पिता की सन्तान तथा प्रेम की सभ्यता के निर्माता बनाता है।
सन्त
पापा ने आगे कहाः...... "कलीसिया के जीवन तथा प्रत्येक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी के जीवन
के अभिनायक, पवित्रआत्मा की केन्द्रीयता के प्रति चेतना सिडनी में सम्पन्न विश्व युवा
सम्मेलन की विशिष्टता रही है। स्थानीय कलीसियाओं में तैयारी के लम्बे सफ़र के दौरान प्रेरितों
से की येसु की इस प्रतिज्ञा को विषय चुना गया थाः "जब पवित्रआत्मा तुम पर उतरेगा तब तुम
शक्ति प्राप्त करोगे तथा मेरे साक्षी बनोगे।" 16, 17 तथा 18 जुलाई के दिन, सिडनी के गिरजाघरों
में, उस समय वहाँ उपस्थित असंख्य धर्माध्यक्षों ने, विभिन्न भाषाओं में धर्मशिक्षा
प्रदान कर, अपनी अपनी प्रेरिताई का निर्वाह किया। धर्मशिक्षा के ये सत्र मनन चिन्तन के
महत्वपूर्ण एवं अपरिहार्य क्षण हुआ करते हैं ताकि ये कलीसियाई घटनायें बाहरी प्रदर्शन
मात्र न रह जायें बल्कि अन्तःकरणों में अपनी गहरी छाप छोड़ दे। दक्षिण के क्रूस तले,
शहर के केन्द्र में रात्रि जागरण पवित्रआत्मा को लगाई पुकार का समूहगान सिद्ध हुआ; और
बाद में, विगत रविवार के महान यूखारीस्तीय याग के दौरान मैंने विश्व के विभिन्न महाद्वीपों
से आये 24 ख्रीस्तीय युवाओं को दृढ़ीकरण संस्कार प्रदान कर उन्हें उनके विश्वास में सुदृढ़
किया, इनमें 14 ऑस्ट्रेलिया के युवा थे। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को मैंने अपनी
बपतिस्मा प्रतिज्ञाओं को नवीकृत करने के लिये आमंत्रित किया। इस प्रकार यह विश्व युवा
दिवस एक नवीन पेन्तेकोस्त में रूपान्तरित हो गया, जहाँ से अपने हमउम्र के युवाओं के बीच
प्रेरित होने के लिये बुलाये गये ख्रीस्तीय युवाओं के मिशन का एक बार फिर सूत्रपात हुआ।
ख्रीस्तीय युवा उसी प्रकार प्रेरित बनने के लिये बुलाये गये हैं जिस प्रकार सन्तों और
धन्य आत्माओं तथा विशेष रूप से धन्य पियेरजॉर्जो फ्रासाती को बुलाया गया था। धन्य पियेरजॉर्जो
फ्रासाती जिनके पवित्र अवशेष सिडनी के महागिरजाघर में सुरक्षित हैं तथा युवाओं की अनवरत
जारी तीर्थयात्रा से जिनकी भक्ति होती रही है। प्रत्येक युवा एवं युवती इनके उदाहरण को
ग्रहण करने के लिये आमंत्रित है, वह येसु के अनुभव को अन्यों में बाँटने के लिये आमंत्रित
है ताकि वह ईश्वरीय प्रेम के आत्मा अर्थात् पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से अपने मित्रों
के जीवन को रचनात्मक ढंग से परिवर्तित कर सके।
तदोपरान्त सन्त पापा ने कहाः--------"विश्व
युवा दिवस की महातैयारी तथा मेरा एवं अन्य तीर्थयात्रियों का मैत्रीपूर्ण स्वागत करने
के लिये मैं आज, एक बार फिर, ऑस्ट्रेलिया के काथलिक धर्माध्यक्षों और, विशेष रूप से,
सिडनी के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल पेल के धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ। इनके अतिरिक्त,
अनमोल सहयोग देने के लिये मैं ऑस्ट्रेलिया के प्रशासनाधिकारियों के प्रति भी आभार व्यक्त
करता हूँ। एक विशेष आभार विश्व के उन सब लोगों के प्रति जिन्होंने इस कलीसियाई घटना की
सफलता के लिये प्रार्थनाएँ अर्पित की थीं।
अन्त में सन्त पापा
ने इस प्रकार प्रार्थना कीः ..... "मेरी मंगलकामना है कि पवित्र कुँवारी मरियम इनमें
से प्रत्येक पर कृपा करें। कल से मैं इटली के आल्तो आजिदे प्रान्त के पर्वतीय नगर ब्रेसानोन
में अपने अवकाश के लिये प्रस्थान कर रहा हूँ, इस अवधि को भी मैं माँ मरियम के सिपुर्द
करता हूँ। हम सब प्रार्थनाओं में एक दूसरे से जुड़े रहें।"
इस अनुरोध के
बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का
पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आह्वान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान
किया ------------------------------------------------------------