2008-07-28 13:50:31

अधिकारी की शक्ति सेवा में है : कार्डिनल रोडे


कार्डिनल फ्रंक रोडे ने कहा है कि स्वतंत्रता, आज्ञापालन, वफादारी, अधिकारी और आध्यात्मिकता जैसे शब्दों की भ्रांतिपूर्ण व्याख्या के कारण धर्मसमाजी जीवन कमजोर हो रहा है।

धर्मसमाजी जीवन और प्रेरितिक जीवन के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल रोडे ने उक्त बातें उस समय कहीं जब वे रेजिना आपोस्तोलोरुम युनिवर्सिटी में आयोजित ग्रीष्मकालीन सेमिनार में विभिन्न धर्मसमाज के सुपीरियरों को सम्बोधित कर रहे थे।

कार्डिनल रोडे ने बल देकर कहा कि सफल अधिकारी वही है जिससे दूसरों की सेवा करता हो। सुसमाचार में अधिकारी की परिभाषा देते हुए दयाकोनिया शव्द का अर्थ बतलाया गया है। दयाकोनिया का अर्थ है 'सेवा करना' या 'सहायता करना।'

उन्होंने आगे कहा कि सेवा कार्य के आदर्श हैं स्वयं प्रभु येसु। येसु खुद ही प्रभु या मालिक थे पर उन्होंने अपनी ताकत सेवा और आज्ञाकारिता से दिखायी । आज्ञाकारिता अर्थात् ईश्वर की इच्छा को खोजना पहचानना औऱ उसी के अनुसार चलना।

इस अवसर पर बोलते हुए कार्डिनल ने इस बात पर अपनी चिंता जताई कि आजकल धर्मसमाजियों में आध्यात्मिक जीवन के प्रति उदासीनता देखी जा रही है जिसे विभिन्न रूपों में देखा जा रहा है।

धर्मसमाजियों के द्वारा प्रार्थना के लिये कम समय दिया जाना, सामुदायिक क्रियाकलापों का अभाव, धर्मशिक्षा और साक्रमेन्त ग्रहण करने के पूर्व तैयारियों का अभाव से धर्मसमाजी जीवन कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज मिशन का अर्थ विकास के रूप में लिया जा रहा है और सुसमाचार प्रचार पर कम बल दिया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि हम सभी आज्ञापालन के लिये बुलाये गये हैं जिसे हमें अपने सामुदायिक प्रेम और सेवा से लोगों को दिखाना चाहिये।

हर अधिकारी को चाहिये कि वह इस बात को न भूले कि उसे अपने जीवन से सामुदाय के लोगों को अनुप्राणित करे, उनकी मदद करे उनकी बातों को सुने और इसी के द्वारा वह लोगों को ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य दे।

ज्ञात हो कि रोम में चल रहे धर्मसमाजी सिस्टरों के सुपीरियरों के सम्मेलन में इटली स्पेन, फ्रांस दोमिनिकन रिपब्लिक, पेरु और इंगलैंड के 161 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।












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