2008-07-18 20:40:09

ऑस्ट्रेलिया में जारी विश्व युवा दिवस के दौरान सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के कार्यक्रमों पर एक संक्षिप्त रिपोर्टः 18 जुलाई, 2008


काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस समय ऑस्ट्रेलिया में हैं जहाँ वे 23 वें विश्व युवा दिवस के कतिपय समारोहों का नेतृत्व कर रहे हैं। विश्व युवा दिवस काथलिक युवाओं का सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं विशाल महोत्सव है जो इस वर्ष सिडनी में मनाया जा रहा है। 21 जुलाई तक जारी विश्व युवा सम्मेलन के लिये इस समय सिडनी में 170 राष्ट्रों के ढाई लाख से अधिक युवा एकत्र हैं जिन्होंने गुरुवार को एक रंगारंग कार्यक्रम से सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का अपने मध्य स्वागत कर उनका सन्देश सुना।

युवाओं को दिये सन्देश में, इस बात पर बल देते हुए कि धरती की रक्षा मानवजाति की उत्तरजीविता के लिये अनिवार्य है, सन्त पापा ने कहा कि मनुष्य की उपभोक्तावादी गतिविधयों ने धरती पर घाव कर दिये हैं तथा प्राकृतिक संसाधनों को तहस नहस कर डाला है।

ऑस्ट्रेलियाई शीत काल की झुरझुरी ठण्ड में जब सूर्य शनैः शनैः अस्ताचल का ऱुख कर रहा था सन्त पापा ने एक ऐसे विषय पर अपनी आवाज़ बुलन्द की जिसने उन्हें " ग्रीन पोप " (Green Pope) कहलाये जाने का यश दिलवाया है। पृथ्वी के नित्य गर्म होते तापमान के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "आप में से कतिपय, द्वीप राष्ट्रों के हैं जिनका अस्तित्व, ऊँचे होते जल स्तर के कारण, ख़तरे में पडा है दूसरी ओर वे देश हैं जो विनाशकारी अकालों एवं सूखे से झूझ रहे हैं"।

सन्त पापा ने बताया कि रोम से सिडनी तक उनकी हवाई यात्रा के दौरान, धरती का, जो विस्मयकारी नज़ारा उन्हें देखने को मिला उसने अन्तरदर्शन एवं आत्मविश्लेषन को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि शायद ही हम यह स्वीकार करते हैं कि ऐसे भी घाव हैं जो धरती की सतह पर अंकित हैं जैसे भूस्खलन, निर्वनीकरण तथा कभी न बुझनेवाली उपभोग की प्यास को तृप्त करने के प्रयास में विश्व के खनिजों एवं समुद्री संसाधनों का अपव्यय।

सिडनी बन्दरगाह के बरांगारू घाट पर एकत्र लगभग ढाई लाख युवाओं ने अपने अपने राष्ट्रीय ध्वजों को फहराकर अपनी पहचान बताई तथा बीच बीच में तालियाँ बजाकर सन्त पापा के साथ सहमति दर्शाई।

बेनेडिक्ट 16 वें इस यात्रा में नवीन मीडिया तकनीकियों का भी भरपूर उपयोग कर रहें। विश्व युवा सम्मेलन के लिये एकत्र युवा तीर्थयात्री अपने सैल फोन्स पर सन्त पापा के एस.एम.एस. प्राप्त कर रहे हैं।

नवीन पीढ़ियों में नवस्फूर्ति के संचार की आशा से सन्त पापा ने युवाओं में नित्य बढ़ते नशीले पदार्थों एवं शराब सेवन पर गहन खेद व्यक्त किया। साथ ही यौन अपकर्ष एवं हिंसा के उत्प्रेरण के लिये टेलेविज़न एवं इनटरनेट की कटु आलोचना की।

श्रोताओ, शुक्रवार 18 जुलाई का दिन सन्त पापा बेनेडिक्ट 16वें ने अन्य धर्मों के साथ सम्बन्धों को मधुर बनाने में व्यतीत किया। प्रातः, सिडनी के कथीड्रल हाऊस में सिडनी तथा न्यू साऊथ वेल्स के कुछ गणमान्य सरकारी अधिकारियों ने सन्त पापा का साक्षात्कार किया। इसके बाद सन्त पापा सेन्ट मेरीज़ कथीड्रल के तलघर गये जहाँ उन्होंने विभिन्न धर्मों के नेताओं से मुलाकात कर इस बात पर बल दिया कि धर्म सभी लोगों का मूलभूत अधिकार है जो, सभी सीमाओं को पार कर अन्धाधुन्ध हिंसा से ख़तरे में पड़े विश्व में, संघर्षों का समाधान दिला सकता है।

अन्य धर्मों के साथ मधुर सम्बन्धों की स्थापना को उत्सुक सन्त पापा ने सर्वप्रथम ख्रीस्तीय नेताओं से मिलना आवश्यक समझा। सेन्ट मेरीज़ कथीड्रल में न्यू साऊथ वेल्स के लगभग 40 ख्रीस्तीय धर्माधिकारी सन्त पापा का सन्देश सुनने पहुँचे थे। इस अवसर पर सिडनी के कार्डिनल जॉर्ज पेल तथा यहाँ के एंगलिकन धर्माधिकारी धर्माध्यक्ष रॉबर्ट फोरसीथ ने ख्रीस्तीय नेताओं के बीच सन्त पापा का स्वागत किया।

इस अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि ख्रीस्तीय एकतावर्धक अभियान संकटमय घड़ी से गुज़र रहा है और ऐसी स्थिति में, धर्मसिद्धान्तों को विभाजक अथवा फूट डालनेवाले घटक के रूप में देखे जाने के, प्रलोभन से बचा जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि भाईयो और बहनों, मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझे विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलने का अवसर प्रदान किया। ऑस्ट्रेलिया ऐसा देश है जहाँ विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एक साथ निवास करते हैं। इस भूमि के सागरीय तटों पर आप्रवासी खुशी और रोजगार के अवसर पाने की आशा में पहुँचते हैं।

यह एक ऐसा देश है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता के मह्त्व को मान्यता प्राप्त है। यह मौलिक अधिकार है जिसका यहाँ सम्मान किया जाता हैं। इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के नागरिक सौहार्दपूर्ण खुले विचार-विमर्श को पसंन्द करते हैं। इस प्रकार के मनोभाव के कारण ऑस्ट्रेलिया में कलीसियाई एकतावर्द्धक अभियान को मदद मिली है। इसका एक ठोस उदाहरण है राष्ट्रीय कौसिल ऑफ चर्चेस के द्वारा सन् 2004 में एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर।

इस वर्ष हम संत पौल के जन्म की दो हज़ारवी वर्षगाँठ मना रहे हैं जिन्होंने कलीसिया की एकता के लिये अथक प्रयास किया था। आप धर्मसिद्धांतो को विभाजनकारी कारक के रूप में दिखाने वाले किसी भी प्रकार के प्रलोभनों के प्रति सतर्क रहें। दिव्य रहस्यों को समझने का हम जितना ईमानदारी से प्रयास करेंगे उतनी ही स्पष्टता से हम ईश्वर के प्रेम का लोगों को दिखा पायेंगे।

कलीसियाई एकतावर्द्धक वार्ता न केवल विचारों के आदान-प्रदान के द्वारा हो बल्कि परस्पर समृद्ध करने वाले वरदानों को एक-दूसरे को बाँटने के लिय हो। विचार और प्रेम दोनों ही अन्तरकलीसियाई वार्ता के लिये आवश्यक है। हमें चाहिये कि हम अन्य ख्रीस्तीयों से प्राप्त होने वाले उपहारों के प्रति अपने मन और दिल को खुला रखें तब ही हम पवित्र आत्मा के विभिन्न वरदानों को प्राप्त कर पायेंगे।

कलीसियाई संरचना का प्रत्येक तत्व महत्वपूर्ण है तथापि यह बिखर कर चकनाचूर हो जायेगा यदि कोने का पत्थर न हो जो कि येसु ख्रीस्त है। ईश्वर के घर के सहयोगी के रूप में खीस्तीयों को मिलकर कार्य करना चाहिये ताकि कलीसिया रूपी भवन मजबूत रहे और अन्य लोग भी इसमें प्रवेश करने के लिये आकर्षित हों और इसके अन्दर विद्यमान कृपा के पर्याप्त निधि की खोज कर सकें । ख्रीस्तीय मूल्यों का प्रसार करते हुए हम इसके श्रोत की अवहेलना न करें तथा प्रभु येसु से सामर्थ्य प्राप्त कर उसके प्रेम का साक्ष्य दुनिया को दें।



विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के नेताओं को अपना सन्देश देने के उपरान्त सन्त पापा ने सेन्ट मेरीज़ कथीड्रल के ही ऊपरी भवन में इस्लाम एवं यहूदी सहित अन्य धर्मों के लगभग 40 नेताओं से मुलाकात कर उन्हें भी सन्देश दिया। इस अवसर पर यहूदी रब्बी लॉरेन्स जेरेमी ने सन्त पापा का अभिवादन करते हुए कहा कि उनके यहूदी पूर्वजों के ज़माने में इस प्रकार की मुलाकात का विचार भी नहीं किया जा सकता था।

द्वितीय वाटिकन महासभा तथा स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा काथलिक-यहूदी सम्बन्धों में लाये गये रचनात्मक विकास की उन्होंने भूरि-भूरि प्रशंसा की। यहूदियों की ओर से रब्बी लॉरेन्स जेरेमी तथा इस्लाम धर्मानुयायियों की ओर से मुसलमान नेता शेख़ मोहम्मद सालेम ने विश्व युवा दिवस की पहलों की सराहना की। शेख सालेम ने कहा कि विगत कुछेक दिनों से वे युवाओं को य़ह कहते सुनते आये हैं, "घृणा के रूढ़िवाद के बजाय हम प्रेम के रूढ़िवाद को प्रोत्साहन दें", किन्तु, उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिये मुसलमानों को अन्य धर्मों के प्रति गहन समझदारी उत्पन्न करनी होगी तथा ख्रीस्तीय एवं अन्य धर्मों के लोगों को इस्लाम एवं मुसलमानों के विरुद्ध व्याप्त भ्रान्तियों और पूर्वधारणाओं को दूर करना होगा।

विभिन्न धर्मों के नेताओं को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा कि यह सर्वविदित है कि ऑस्ट्रेलिया के लोग सदा आपसी सदभाव और मेहमानों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार के लिये जाने जाते रहे हैं। इतना ही नहीं यही एक राष्ट्र है जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। यहाँ इस बात को बढ़ावा दिया जाता है कि लोग अपने विश्वास के अनुसार ईश्वर की पूजा करें और अपने नैतिक सिद्धांतो के अनुसार अपना जीवन बितायें।

आज जब विश्व के लोग धर्म को हिंसा का कारण मानने लगे हैं तब सब धर्मों के अनुयायियों का यह परम दायित्व है कि वे शांतिपूर्ण तरीकों से समस्याओं का समाधान करने के लिये सामने आयें। आज हर एक धर्म का कर्तव्य है कि वह लोगों को एक ऐसा रास्ता दिखाये जिस पर चलकर उसके अनुयायी उदारतापूर्वक सेवामय जीवन जीयें और अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध कायम करें।

मेरा विश्वास है कि व्यक्ति को ईश्वर ने जो आत्मा प्रदान की है उसे स्वार्थ की पूर्ति से संतुष्टि नहीं मिलती है वरन् सच्ची सेवा, आत्मबलिदान और संयम से ही शांति और खुशी प्राप्त होती है।

मित्रो, आप इस बात से अवश्य ही सहमत होंगे कि हमें चाहिये कि हम धर्म की इन सच्चाइयों को युवाओं को बतायें। मेरा तो मानना है कि युवाओं में वो क्षमता है जिसके प्रयोग से वे अच्छाई की किसी भी उँचाई तक जा सकते हैं।

यह भी सत्य है कि विभिन्न धर्मावलंबियों ने अनेक संस्थायें खोली हैं ताकि लोगों का मार्गदर्शन हो सके। आज मै सब धर्म के नेताओं को प्रोत्साहन देते हुए कहना चाहता हूँ कि वे अन्तरधार्मिक वार्ता के लिये आगे आयें और उन मूल्यों के बारे में विचार करें जिसमें बौद्धिक, मानवीय और धार्मिक बातों का समावेश हो ताकि युवाओं मे सेवा, सदभाव, स्वतंत्रता, सहानुभूति और मानवता के प्रति सम्मान जैसे गुणों का विकास हो सके।

मैं आज यह भी बताना चाहता हूँ कि काथलिक कलीसिया येसु मसीह के उदाहरण का अनुसरण करते हुए वार्ता के लिये अपना कदम बढ़ाती है और चाहती है कि हम सब एक साथ मिल कर जीवन की खुशियों और दुःखों के रहस्यों का अर्थ समझें और एक-दूसरे के आध्यात्मिक अनुभवों का लाभ उठायें।

मैं ऑस्ट्रेलिया में शांति का राजदूत बनकर आया हूँ। मैं आप सबों से सिर्फ यह निवेदन नहीं करता हूँ कि आप एक-दूसरे को शांति प्रदान करें पर आपके धार्मिक जीवन के उदाहरण से हर दूसरा व्यक्ति ऐसा प्रेरित हो कि वह सत्य की खोज करे, सदाचरण करे और सदगुणों को अपनाने को प्रयासरत रहे।
 
विश्व का ध्यान मानों इस ओर आकर्षित करते हुए कि मानवजाति में प्रेम एवं आशा का संचार करने के लिये युवाओं से बातचीत करना, उनकी बात को सुनना तथा उनके साथ उठना-बैठना अति महत्वपूर्ण है, सन्त पापा ने, शुक्रवार को 12 विश्व युवा प्रतिनिधियों के साथ बैठकर मध्यान्ह भोजन किया। वस्तुतः विश्व युवा सम्मेलनों के दौरान युवाओं के साथ भोजन की नेक परम्परा का सूत्रपात भी स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने ही किया था जिसे जारी रखना सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें अनिवार्य मानते हैं।

शुक्रवार अपरान्ह युवाओं ने सेन्ट मेरीज़ कथीड्रल के प्राँगण में एकत्र होकर पवित्र क्रूस मार्ग की विनती का पाठ किया। पहला स्थान सन्त पापा के साथ पढ़ने के बाद युवा सिडनी के मार्गों में निकल पड़े। सन्त पापा ने शेष स्थानों की विनती में टेलेविज़न के माध्यम से भाग लिया।

शुक्रवार सन्धया सन्त पापा उन युवाओं से मिले जो जीवन की राह पर भटक गये थे तथा समाज द्वारा हाशिये पर रख दिये गये थे। इनमें वे युवा शामिल थे जो कभी मादक एवं स्वापक दवाओं तथा शराब के सेवन से भविष्य की आशा खो बैठे थे। कभी घर से भागे, धर्म के प्रति के उदासीन तथा मानव सहअस्तित्व के नियमों को बोझ समझनेवाले लगभग 240 युवा, इस अवसर पर, उपस्थित हुए जो अब घर लौटना चाहते थे।

सन्त पापा के शब्द उनके टूटते दिलों को फिर से जोड़ पाये या नहीं यह तो समय ही बतायेगा किन्तु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि समाज द्वारा तिरस्कृत इन युवाओं के जीवन में सन्त पापा की उपस्थिति ने आशा की किरण अवश्य जगाई है।

























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