जर्मनी में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के युवा आम धारणा के विपरीत ज़्यादा
धर्मी हैं। जर्मन बेरतेलस्मन फाउन्डेशन नामक संस्था ने बुधवार को इस बात का खुलासा किया
है कि 18 से 29 साल वाले करीब 85 फीसदी युवा धार्मिक स्वभाव के पाये गये हैं और 44 फ़ीसदी
तो अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति के पाये गये हैं। सर्वेक्षण ने इस बात को भी बताया कि
सिर्फ 13 फ़ीसदी युवा ईश्वर पर कोई आस्था नहीं रखते हैं या इसे कोई मह्त्व नहीं देते
हैं।
सर्वेक्षण के परिणाम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फ़ाउन्डेशन के
अध्यक्ष डॉ. मार्टिन रियेजर बताया कि विश्व की युवा पीढ़ी के बारे में आम धारणा है रही
है कि युवाओँ में धार्मिक उदासीनता बढ़ती जा रही है पर सर्वेक्षण ने इसे गलत सिद्ध कर
दिया है।
स्मरण रहे कि जर्मन बेरतेलस्मन फ़ाउन्डेशन ने 21 देशों के 21 हज़ार
युवाओं पर एक सर्वेक्षण किया था। इसमें कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आयीं हैं और उनमें
से एक है बैसे देशों के युवाओं के संबंध में जो मुसलमान हैं वहाँ के युवाओं में धार्मिक
प्रवृत्ति ईसाई देशों के युवाओं की तुलना में अधिक देखी गयी है। यूरोप में 25 फ़ीसदी
युवा धार्मिक प्रवृत्ति के पाये गये जबकि यूरोप के बाहर जहाँ ईसाई धर्मावलंबी कम हैं
68 फीसदी युवा धार्मिक प्रवृत्ति के पाये गये।
पूर्वी यूरोप और रूस के अधिकतर
युवाओं को बपतिस्मा नहीं मिला है और उनका धर्म और गिरजा से कोई नाता-रिश्ता नहीं हैं।
ऐसे देशों में सिर्फ 13 फ़ीसदी युवा ही धार्मिक प्रवृति के पाये गये।
इस सर्वेक्षण
के अनुसार अमेरिका में 54 फ़ीसदी युवाओं ने स्वीकार किया है कि वे धार्मिक है। 35 फ़ीसदी
युवाओं ने यह भी कहा कि वे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के सदस्य नहीं हैं। विकासशील
देशों के युवाओं ने यह स्वीकार किया कि वे कम से कम दिन में एक बार भगवान से प्रार्थना
करते हैं। भारत मोरोक्को तुर्की नाईजिरिया औऱ गुवातेमेला के करीब 75 फ़ीसदी युवाओं कहा
है वे एक बार ईश्वर की याद ज़रूर कर लेते हैँ।
ठीक इसके विपरीत फ्रांस में 9 प्रतिशत
रूस में 8 और ऑस्ट्रिया में सिर्फ 7 प्रतिशत युवा रोज़ाना प्रार्थना करते हैं। सर्वेक्षण
के अनुसार अमेरिका के 57 प्रतिशत युवा रोज़ाना प्रार्थना करते हैं।