2008-07-07 14:10:01

चर्च ने हाई कोर्ट के कोटा संबंधी आदेश का स्वागत किया


चर्च ने हाई कोर्ट के उस आदेश का स्वागत किया है जिसमें कोर्ट ने झारखंड की सरकार को आदेश दिया है कि ईसाइयों को दिये गये सरकारी कोटा को बरकरार रखा जाये।
इस अवसर पर बोलते हुए एशिया के पहले आदिवासी कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि सत्य की सदा जीत होती है जन्म से मिली आदिवासियत की विरासत को धार्मिक विश्वास से नहीं बदला जा सकता है।
कोर्ट के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गोसनर एभानजेलिकल चर्च के बिशप नेल्सन लकड़ा ने कहा कि वे हाई कोर्ट के आदेश से प्रसन्न हैं।
ज्ञात हो कि चर्च ने सरकार के उस निर्णय को चुनौति थी जिसमें सरकार के अनुसार शिक्षण संस्थाओं में सरकारी कार्यों के लिये सिर्फ वे ही आदिवासी हकदार थे जो परम्परागत आदिवासी धर्म को मानते हैं।
संविधान में प्रावधान है कि आर्थिक रूप से कमजोर और आदिवासियों को सरकारी कोटा दिया जाये। पर अगर कोर्ट ने ईसाइयों के विरूद्ध निर्णय देती तो ईसाई आदिवासी इस सुविधा से वंचित कर दिये जाते। कोर्ट ने कहा है कि धर्म परिवर्तन हो जाने से किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति स्वतः नहीं बदल जाती है इसीलिये उन सब आदिवासियों को, जिन्होंने ईसाई या अन्य धर्म स्वीकार कर भी लिया हो सरकारी कोटा का लाभ मिलता रहेगा। बिशप लकड़ा ने बल देते हुए कहा कि हम जन्म से आदिवासी हैं और सदा ही आदिवासी रहेंगे।
ज्ञात हो कि कोटा का मुद्दा उस समय गर्म हो गया था सन् 2002 में परम्परागत आदिवासी धर्म के मानने वालों ने ईसाई आदिवासियों के कोटा पाने के अधिकार को कोर्ट में चुनौती दी थी और कट्टरवादी हिन्दुओं ने इसका समर्थन किया था।
कई हिन्दु बुद्धिजीवियों ने भी कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया है और कह है कि कोर्ट ने कोटा मुद्दे का स्थायी समाधान कर दिया है। स्थानीय वुद्धिजीवी के. एन. पंडित ने कहा कि धर्म परिवर्तन से आदिवासियत नहीं चली जाती है। काँग्रेस पार्टी के मनोज यादव ने कहा है कि कोर्ट का निर्णय न्यायसंगत है।








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