2008-06-30 13:04:44

देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
 


श्रोताओ, रविवार 29 जून को सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के उपलक्ष्य में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर में ख्रीस्तयाग अर्पित कर विश्व के विभिन्न भागों में सेवा हेतु नियुक्त 40 महाधर्माध्यक्षों को अम्बरिकाएँ प्रदान कीं। ख्रीस्तयाग के बाद उन्होंने सन्त पेत्रुस महामन्दिर में ही तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व महामन्दिर में एकत्र तीर्थयात्रियों तथा रेडियो एवं टेलेविज़न के माध्यम से देवदूत प्रार्थना में शामिल होनेवाले सभी भक्तों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः

“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
इस वर्ष, सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस का महापर्व रविवार के दिन पडा़ ताकि केवल रोम की कलीसिया ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व की कलीसिया इसका भव्य समारोह मना सके। यह महापर्व एक और घटना को रेखांकित करने का सुअवसर है। यह घटना है पौलीन वर्ष या सन्त पौल को समर्पित वर्ष जिसका उदघाटन मैंने कल विधिवत्, लोगों के प्रेरित सन्त पौल की पवित्र समाधि पर किया तथा जो 29 जून सन् 2009 तक जारी रहेगा।”

सन्त पापा ने आगे कहाः .......... “पौल बने सौल की जन्मतिथि को इतिहासकार ईसा मसीह के बाद सातवें तथा दसवें वर्ष के बीच रखते हैं। यही कारण है कि लगभग दो हज़ार वर्ष पूरे हो जाने पर मैंने सन्त पौल को समर्पित इस विशिष्ट जयन्ती वर्ष को घोषित करना चाहा जिसका रोम में मनाया जाना स्वाभाविक है विशेष रूप से, उनके शहादत स्थल त्रे फोनताने एवं शहर की दीवारों से बाहर स्थित सन्त पौल महागिरजाघर में। तथापि इसमें सन्त पौल के जन्म स्थल तारसुस से लेकर, तीर्थयात्रियों के लक्ष्य बने सन्त पौल को समर्पित, वर्तमान तुर्की स्थित अनेकानेक तीर्थस्थल, पवित्र भूमि तथा माल्टा द्वीप तक सम्पूर्ण कलीसिया सम्मिलित रहेगी। माल्टा जहाँ, अपने पोत के डूबने के बाद, प्रेरितवर पौल ने पनाह ली थी तथा सुसमाचार का उर्वरक बीज आरोपित किया था। वास्तव में, सन्त पौल को समर्पित वर्ष का क्षितिज सार्वभौमिक होने के सिवाय और कुछ हो ही नहीं सकता क्योंकि सन्त पौल उत्कर्षतः उन लोगों के प्रेरित थे जो यहूदियों के मुकाबले में दूरस्थ थे तथा जो ख्रीस्त द्वारा बहाये रक्त के कारण निकटवर्ती बन गये। एफेसियों को प्रेषित पत्र में सन्त पौल लिखते हैं: ‘आप लोग पहले दूर थे, किन्तु येसु मसीह के रक्त द्वारा निकट आ गये हैं।^ इसीलिये आज भी, छोटे बने विश्व में, तथापि जहाँ अभी भी बहुत से लोगों ने प्रभु येसु का साक्षात्कार नहीं किया है, सन्त पौल को समर्पित जयन्ती सभी ख्रीस्तीयों को सुसमाचार के मिशनरी बनने के लिये आमंत्रित करती है।”

तदोपरान्त सन्त पापा ने कहाः-------- “इस मिशनरी आयाम को सदैव एकता के आयाम से जुडा़ होना चाहिये, उस एकता के साथ जिसका प्रतिनिधित्व सन्त पेत्रुस अर्थात उस चट्टान द्वारा किया गया है जिसपर ख्रीस्त ने अपनी कलीसिया का निर्माण किया। जैसा कि आज की धर्मविधि में रेखांकित किया गया है, एकता में सूत्रबद्ध एक ईश प्रजा की आत्मिक उन्नति के लिये इन दोनों महाप्रेरितों के करिश्में सम्पूरक हैं तथा ख्रीस्तीय धर्मानुयायी तब तक ख्रीस्त के अकाट्य साक्षी नहीं बन सकते जब तक उनके बीच एकता न हो। एकता का यह विषय आज अम्बरिकाएँ प्रदान करने की पारम्परिक विधि से प्रकाश में लाया जाता है जिन्हें मैंने अभी अभी सम्पन्न ख्रीस्तयाग के दौरान विगत वर्ष नियुक्त महाधर्माध्यक्षों को अर्पित किया है। 40 महाधर्माध्यक्षों ने आज इन्हें ग्रहण किया तथा दो महाधर्माध्यक्ष इन्हें अपने अपने महाधर्मप्रान्तों में ग्रहण करेंगे। इनके प्रति भी मैं अपने अभिवादन को नवीकृत करता हूँ। इसके अतिरिक्त, आज के पर्वोत्सव पर रोम के धर्माध्यक्ष कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष हमारे प्रिय महामहिम बारथोलोम प्रथम का स्वागत करते अति हर्षित हैं, इनके प्रति मैं भाई सुलभ प्रेम प्रकट करता तथा इनके नेतृत्व में आये ओरथोडोक्स कलीसिया के सम्पूर्ण शिष्टमण्डल के प्रति हार्दिक मंगलकामनाएँ अर्पित करता हूँ।”

अन्त में सन्त पापा ने इस तरह प्रार्थना कीः ........... “सन्त पौल को समर्पित वर्ष, सुसमाचार उदघोषणा, कलीसिया में सहभागिता तथा ख्रीस्तीयों के बीच पूर्ण एकता, इस क्षण हम सब मिलकर इन महान मनोरथों के लिये प्रार्थना करें, इन्हें हम कलीसिया की माता एवं प्रेरितों की रानी, पवित्रतम मरियम, की स्वर्गिक मध्यस्थता के सिपुर्द करें।”

इस प्रकार, सबसे प्रार्थना का अनुरोध करने के बाद, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------









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