वाटिकन सिटीः विश्व पर्यटन दिवस 2008 के लिये प्रकाशित सन्देश में क्षतिपूर्ण जलवायु
परिवर्तन की चेतावनी
विश्व पर्यटन दिवस 2008 के लिये वाटिकन के सन्देश की प्रकाशना सोमवार को की गई। यह दिवस
प्रति वर्ष 27 सितम्बर को मनाया जाता है। आप्रवासियों एवं पर्यटकों की प्रेरिताई हेतु
गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल रेनातो आर. मार्तिनो ने इस सन्देश में कहा
है कि जलवायु परिवर्तन आज मानवजाति के समक्ष प्रस्तुत एक महान चुनौती है। परमधर्मपीठीय
सन्देश में इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि प्रति वर्ष विश्व में 90 करोड़ व्यक्ति
पर्यटन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करते हैं। इन यात्राओं में प्रायः प्रदूषित
पैट्रोल एवं डीज़ल का उपयोग होता है जबकि होटलों आदि में लगाई गई वातानुकूल संरचनाएँ
अनवरत हानिकारक गैसों को वातावरण में छोड़ती हैं। अवकाश मनाने वालों तथा यात्रियों
से ज़िम्मेदाराना व्यवहार का आग्रह कर कार्डिनल मार्तिनो ने धरती एवं पर्यावरण के अनुकूल
बनने का सुझाव दिया। उनका सुझाव है कि जहाँ तक सम्भव हो पैदल चला जाये, उन होटलों एवं
विश्राम गृहों का चयन किया जाये जो प्रकृति के सम्पर्क में हों, कम से कम सामान ले जाया
जाये, वृक्ष उगाये जायें तथा कूड़े कचरे का निकास ठीक ढंग से किया जाये ताकि जितना हो
सके उतना कम कार्बन डायोक्साइड उत्पन्न हो। इनमें, कार्डिनल महोदय के अनुसार, सर्वाधिक
महत्वपूर्ण है अन्धाधुन्ध विकास की दौड़ में संयम और नियंत्रण रखना तथा सीमा के भाव की
खोज करना। उन्होंने कहा कि केवल इन निर्देशों का पालन कर ही जलवायु परिवर्तन व्दारा प्रस्तुत
महान एवं गम्भीर चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।