भारतः केरल के मुसलमान एवं ख्रीस्तीय नेता नास्तिकतावादी पाठ्य पुस्तक के विरुद्ध
केरल के पब्लिक स्कूलों की सातवीं कक्षा में पढा़ई जानेवाली सामाजिक विज्ञान की पाठ्य
पुस्तक ने यहाँ के धार्मिक नेताओ को नाराज़ कर दिया है इसलिये कि यह पुस्तक नास्तिकतावादी
एवं धर्म विरोधी सन्देश देती है। भारतीय मुसलिम लीग के अध्यक्ष पन्नाकड़ सैयद मोहम्मद
अली सिहाब थंगल ने 19 जून को अधिकारियों का आव्हान किया कि वे उक्त पुस्तक को पाठ्यक्रम
से हटा दें क्योंकि उनके अनुसार यह नास्तिकतावादी एवं धर्म विरोधी भावनाओं को भड़काती
है। उन्होंने धमकी भी दी कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे जन प्रदर्शन आयोजित
करेंगे। केरल युवा काँग्रेस एवं केरल का विद्यार्थी संगठन भी पुस्तक का विरोध कर रहे
हैं। विगत शनिवार को केरल के शिक्षा मंत्री, एम. ए. बेबी ने इस आरोप का बहिष्कार
किया कि उक्त पुस्तक नास्तिकतावाद को प्रश्रय दे रही है, इसके विपरीत उन्होंने कहा कि
यह प्रजातांत्रिक एवं सहिष्णु समाज को प्रोत्साहन देती है। काथलिक सिरोमलाबार चर्च
के प्रवक्ता एवं सत्यदीपम् पत्रिका के संपादक फादर पौल थेलाकट्ट ने एशिया समाचार से कहा
कि सामान्य तौर पर कलीसिया सार्वजनिक स्कूलों में पढा़ई जानेवाली पुस्तकों पर अपना मत
प्रकट नहीं करती है किन्तु उक्त पुस्तक बडी़ सावधानी से साम्यवादी विचारधारा का प्रचार
करती है। पुस्तक में The Land of humanness शीर्षक के अन्तर्गत एक अध्याय में, भारत
के तीन धर्मों को प्रस्तुत किया गया है किन्तु कुछेक ऐतिहासिक घटनाओं के उल्लेख के बाद
यह दावा किया गया है कि तीनों ही धर्म समाज में जातिवाद को बढा़वा देते हैं। इसमें धर्म
को ऐसी फूट डालनेवाली शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो समाज से मानवीय आयाम
को अलग कर देता है। पुस्तक विद्यार्थियों का आव्हान करती है कि वे जीवन की सामान्य
समस्याओं जैसे बढती कीमतों, पेयजल, रोग, भूकम्प आदि पर ध्यान दें जिनसे सभी प्रभावित
होते हैं जबकि धर्म का जीवन सम्बन्धी समस्याओं से कोई वास्ता नहीं। फादर थेलाकट्ट
के अनुसार इस प्रकार के सन्देश भ्रामक हैं क्योंकि इनका यह अर्थ हुआ कि अभिभावकों के
लिये यह आवश्यक नहीं है कि वे अपने बच्चों को नीति शिक्षा प्रदान करें।