2008-06-23 12:42:20

देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
 


श्रोताओ, रविवार 22 जून को सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में एकत्र तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः
“अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
इस रविवार के लिये निर्धारित सुसमाचार में, एक ओर येसु हमें सिखाते हैं, मनुष्यों से मत डरो तो दूसरी ओर ईश्वर से डरो (सन्दर्भः मत्ती दसः 26,28)। इस प्रकार हम मानवीय भय एवं ईश्वर के भय के बीच विद्यमान अन्तर पर चिन्तन हेतु प्रेरित होते हैं।

भय जीवन का एक स्वाभाविक आयाम है। बाल्यकाल से ही हम भय के उन विभिन्न प्रकारों का अनुभव करते हैं जो बाद में जाकर या तो काल्पनिक प्रकट होते हैं या फिर गायब हो जाते हैं, तदोपरान्त अन्य प्रकार के भय हममें प्रवेश करते हैं जो वास्तविकता पर आधारित होते हैं इनका सामना किया जाना तथा मानव प्रयास एवं ईश्वर में आस्था व्दारा इनपर विजयी हुआ जाना अनिवार्य है।

इसके अतिरिक्त, -- विशेष रूप से आज – एक और अधिक गहन प्रकार का भय है, अस्तित्वात्मक भय, जो कभी कभी चिन्ता बनकर उमड़ पड़ता हैः इसकी उत्पत्ति खालीपन के भाव से होती है जो इन दिनों प्रचलित मीमांसात्मक एवं व्यवहारिक शून्यवाद से प्रेरित संस्कृति से जुड़ा होता है।”

सन्त पापा ने आगे कहाः--------“मानव भय के प्रचुर एवं विविध दृश्यपटल के समक्ष, ईश्वर का वचन स्पष्ट हैः जो प्रभु से भय खाता है वह कभी भयभीत नहीं होता। ईश्वर का भय जिसे धर्मग्रन्थ में यथार्थ प्रज्ञा का आरम्भ कहा गया है, ईश्वर में विश्वाश से मेल खाता है, यह जीवन एवं विश्व पर उनकी प्रभुत्वता के प्रति सम्मान से मेल खाता है। ईश्वर के भय के बिना जीने का अर्थ है उनके स्थान पर स्वयं को रखना, ऐसा महसूस करना मानों हम भलाई एवं बुराई, जीवन एवं मृत्यु के मालिक हैं।
जो ईश्वर से भय खाता है वह आन्तरिक रूप से माँ की गोद में सोये हुए दूध छुड़ाये बच्चे के सदृश स्वतः को सुरक्षित महसूस करेगा (स्तोत्र ग्रन्थ 130) जो ईश्वर से भय खाता है वह तूफान के बीच भी शांत रहता है, क्योंकि ईश्वर, जैसा कि येसु ने हम पर प्रकट किया है, वे पिता हैं जो करूणा एवं भलाई से परिपूर्ण हैं। जो व्यक्ति ईश्वर से प्रेम करता है उसे डर नहीं लगताः प्रेरितवर सन्त योहन लिखते हैं, प्रेम में कोई भय नहीं होता। पूर्ण प्रेम, वे कहते हैं, भय दूर कर देता है, क्योंकि भय में दण्ड की आशंका रहती है और जो डरता है, उसका प्रेम पूर्णता तक नहीं पहुँचा है (1 योहन चारः अट्ठारह)।”

तदोपरान्त सन्त पापा ने कहाः-------- “विश्वासी व्यक्ति इसलिये किसी से नहीं डरता क्योंकि वह जानता है कि वह ईश्वर के हाथों में है, वह जानता है कि उसका अन्त दुष्टता और विवेकहीनता में नहीं है बल्कि विश्व एवं जीवन के एकमात्र प्रभु हैं ईश्वर के देहधारी शब्द, ख्रीस्त, वह जानता है कि ख्रीस्त ने हमसे इतना प्यार किया कि हमारी मुक्ति के ख़ातिर क्रूस पर स्वयं अपनी बलि अर्पित कर दी।

जितना हम इस प्रकार के प्रेम और आत्मीयता में ईश्वर के साथ बढ़ते जायेंगे उतनी ही सरलता से हम हर प्रकार के भय को पराजित कर सकेंगे। आज के सुसमाचार पाठ में येसु, बारम्बार, भय न खाने हेतु हमें उद्बोधित करते हैं। वे हमें आश्वस्त करते हैं जैसा उन्होंने प्रेरितों को आश्वस्त किया था, जैसा उन्होंने प्रचार कार्य के एक विशेष कठिन क्षण में एक रात प्रकट होकर, सन्त पौल को आश्वस्त किया थाः येसु ने उनसे कहा था, डरो मत क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ (प्रेरित चरित ग्रन्थ अट्ठारहः नौ) ख्रीस्त की उपस्थिति से बल पाकर तथा उनके प्रेम से सान्तवना प्राप्त कर, ग़ैरयहूदियों के प्रेरित शहादत से भी नहीं डरे।”

अन्त में सन्त पापा ने यह घोषणा कीः “हम सन्त पौल की दूसरी सहस्राब्दिक जन्म तिथि एक विशेष जयन्ती वर्ष से मनाने जा रहे हैं। मेरी मंगल कामना है कि यह महान आध्यात्मिक एवं प्रेरितिक घटना हममें भी येसु ख्रीस्त के प्रति नवीकृत विश्वास को जाग्रत करे, येसु ख्रीस्त, जो हमें बिना किसी प्रकार भयभीत हुए उनके सुसमाचार का प्रचार करने तथा उसके साक्षी बनने के लिय़े आमंत्रित करते हैं।

ßअति प्रिय भाइयो एवं बहनो, अस्तु मैं आप सबको आमंत्रित करता हूँ कि आप विश्वासपूर्वक सन्त पौल को समर्पित वर्ष को मनाने के लिए तैयार होवे, जिसका उदघाटन, यदि ईश्वर ने चाहा, तो मैं आगामी शनिवार, सन्ध्या छः बजे, रोम स्थित सन्त पौल महागिरजाघर में सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस को समर्पित सान्ध्य वन्दना से करूँगा। इस क्षण से ही हम इस महान कलीसियाई पहल को सन्त पौल एवं पवित्रतम कुँवारी, प्रेरितों की रानी तथा ख्रीस्त की माता, हमारे आनन्द एवं हमारी शांति के स्रोत मरियम के सिपुर्द करें।”

इस मनोरथ के लिये सबसे प्रार्थना का अनुरोध करने के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियें के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सब पर प्रभु की शांति का आव्हान कर सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान किया ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
---------और अब लीजिये सुनते हैं आज का भक्तिगीत और उसके बाद समाचार ----------









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