2008-06-16 12:13:18

वार्ता का मार्ग कठिन है पर असंभव नहीं


यदि हम भगवान के नाम पर हो रहे हिंसा पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो हमें चाहिये कि हम ईमानदारीपूर्वक मुसलमानों से वार्ता करें। उक्त बातें वाटिकन के प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदरिको लोम्बार्डी ने उस समय कहीं जब वे वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्याक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’ में वार्ता विषय पर आयोजित  प्रथम अन्तरराष्ट्रीय इस्लामिक सेमिनार पर टिप्पणी कर रहे थे। ज्ञात हो साउदी अरब के राजा अबदुल्लाह ने मक्का में  वार्ता पर अखिल इस्लाम अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था। राजा अबदुल्लाह ने इस बात की घोषणा पहले ही कर दी थी जब उन्होंने संत पापा से मुलाकात की थी। उनकी योजना है कि वे सबसे पहले खुद मुसलमानों के बीच वार्ता पर एक आम सहमति बनाये और उसके बाद ईसाई और यहुदियों से वार्तालाप के लिये कदम उठाये। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे चाहते हैं कि आपसी वार्तालाप के द्वारा मानव की मर्यादा की रक्षा हो  और परिवार को सम्मान मिले और सह अस्तित्व एवं विश्व शांति को बढ़ावा मिले।
इसी विषय पर आगे बोलते हुए फादर लोम्बार्डी ने कहा कि राजा अबदुल्लाह का यह स्वीकार करना सही है कि इस्लाम धर्म के कुछ अनुयायी अतिवाद के शिकार हो गये हैं और इस लिये वे इस्लाम धर्म की शांतिप्रय छवि को धूमिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामिक सम्मेलन में भाग लेने वाले करीब 500 प्रतिनिधियों ने मिलकर इस बात पर बल दिया है कि वे हिंसा का विरोध करते हैं और  सब सम्प्रदाय के लोगों के साथ शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि आपसी झगड़ों का समाधान वार्ता के द्वारा सौहार्दपूर्ण तरीकों से हो। वाटिकन प्रवक्ता ने आगे कहा कि हमें वार्ता की प्रक्रिया में बहुत प्रयास करने की आवश्यकता है। मार्ग कठिन है पर असंभव नहीं है। हमें चाहिये कि हम धैर्य  और उत्साह से वार्तालाप के लिये सामने आयें।वार्ता के इस दौर में उस बात को तो हमेशा याद करना ही होगा  जिसे संत पापा जोन पौल द्वितीय ने असीसी में कहा था कि  चाहे जो भी हो पर भगवान के नाम पर हिंसा को हम सोच ही नहीं सकते









All the contents on this site are copyrighted ©.