2008-04-17 22:54:40

संत पापा जोन पौल द्वितीय कल्चर सेंटर में
विभिन्न धर्मो के प्रतिनिधियों को संत पापा का संदेश।


संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने संत पापा जोन पौल द्वितीय कल्चर सेंटर में अमेरिका के विभिन्न धर्म के प्रतिनिधयों को सम्बोधित करते हुए कहा-
मेरे प्रिय दोस्तो, अमेरिका में एक दूसरे धर्मों के साथ सहयोग करने और समभाव के संबंध का लम्बा इतिहास रहा है। यह सर्वविदित है कि अमेरिका में अंतरधार्मिक प्रार्थना सभा के आयोजनों, परोपकारी क्रियाकलापों और सार्वजनिक मुद्दों पर एक साथ मिल कर आवाज़ उठाने की परंपरा से सारा समाज लाभान्वित होता रहा है। भाईयो एवं बहनों आज हम जिस सेंटर में एकत्र हैं उसकी स्थापना भी इसी लिये की गयी है कि इससे अन्तरधार्मिक संबंध मजबूत हो और इसकी आवाज़ से सार्वजनिक हित हो सके।
अमेरिका की खूबी रही है कि इसने सदा ही लोगों को ऐसी धार्मिक स्वतंत्रता दी है कि लोग अपने अन्तःकरण की आवाज़ के अनुसार ही ईश्वर की खोज करें और उसकी पूजा आराधना करें। फिर भी मैं यह बताना चाहता हूँ कि धार्मिक स्वतंत्रता के संबंध में दो चुनौतियाँ हैं एक तो आज की बदलते परिवेश में धार्मिक स्वतंत्रता को को बनाये रखने का और दूसरा धार्मिक परंपराओं और मूल्यों को आनेवाली पीढ़ी को सुपूर्द कर पाना। आज मैं आप लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित करना चाहता हूँ कि आईये हम अन्तरधार्मिक वार्ता को सिर्फ इस मतलब से न करें कि हमारी आपसी समझदारी बढ़े पर इसलिये भी करें कि इससे हम मानव समाज की सेवा कर सकें। राष्ट्रपति रूसभेल्ट के शब्दों अगर इस धरती में सबसे बड़ी बात हो सकती है तो वो है कि एक ऐसा दिन आये कि लोग एक दूसरे पर अटूट विश्वास करने लगें।
संत पापा ने आगे कहा कि आज जरूरत है ऐसे आध्यत्मिक और जिम्मेदार धर्म गुरूओं की जो लोगों जो लोगों में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना भर सकें मानवता को बढ़ावा दे सकें शांति और न्याय के लिये प्रेरित कर सकें और आने वाली पीढ़ी को यह बता सकें कि क्या भला, अच्छा और उचित है।
संत पापा ने आगे कहा कि वे अन्तरधार्मिक वार्ता, धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास पर आधारित शिक्षा के प्रबल समर्थक है और इसके लिये समर्पित लोगों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वे अपने सकारात्मक प्रयासों के साथ इस बात को सदा याद करें कि अन्तरधार्मिक संवाद का अन्तिम लक्ष्य होना चाहिये सत्य की खोज करना, सत्य की आवाज़ सुनना और उनका विश्वास है कि सत्य को पाने वाला हर व्यक्ति शांति और न्याय के लिये ही कार्य करेगा।
तब उन्होंने कहा आज धर्मगुरूओं का कर्तव्य है कि वे लोगों को प्रेरित करें ताकि लोग मानव जीवन के अन्तिम लक्ष्य को अपने मन में सदा याद रखें और वास्तविक शांति को पा सकें।विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और विश्वविध्यालयों का कर्तव्य है कि वे इस संबंध में छात्रों ज्ञान दें।
फिर उन्होंने कहा मेरे प्रिय दोस्तो आज मेरी प्रार्थना है कि आज हम अपने जीवन और इसके अंतिम लक्ष्य पर मनन करें मेरी निवेदन है कि सब धर्म के अनुयायी जीवन की रक्षा और मर्यादा के लिये कार्य करें और सर्वत्र सबों को धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने की स्वतंत्रता हो ताकि हम अपने नम्र और छोटे किन्तु समभाव और सदभाव के सतत् प्रयासों से एक ऐसा साधन बन सकें जिससे विश्व एक शांतिपूर्ण मानव परिवार बन सके।
और इतना कह कर संत पापा ने लोगों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि दुनिया को सब लोगों को ईश्वर की शांति मिले।








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