कलीसियायी दस्तावेज़ - एक अध्ययन तीसरा अंक 8 अप्रैल, 2008
काथलिक कलीसिया के सामाजिक सिद्दांतों का सार संग्रह काथलिक कलीसिया का एक ऐसा महत्वपूर्ण
दस्तावेज़ हैं जिसे संत पापा जोन पौल द्वितीय के आग्रह पर न्याय और शांति के लिये बनी
परमधर्मपीठीय समिति ने तैयार किया है। यह दस्तावेज़ काथलिक कलीसिया की शिक्षा, सिद्धांतों
एवं मूल्यों के आधार पर सत्य को पाने की एक मार्गदर्शिका है जिसके आधार पर व्यक्ति का
सामाजिक जीवन अर्थपूर्ण होगा और सार्वजनिक हित के कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
काथलिक
कलीसिया के सिद्दांतों का सार संग्रह के तीन भाग हैं। इसके पहले भाग में मनुष्य के लिये
ईश्वर की योजना, कलीसिया के कार्य और मानव के अधिकार और कर्तव्यों के बारे में बताया
गया है। दूसरे भाग में परिवार का महत्व, व्यक्ति का सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और अन्तराष्ट्रीय
जीवन और पर्यावरण तथा शांति के बारे में बारे में बताया गया है। और इस दस्तावेज़ के तीसरे
और अन्तिम भाग में कुछ व्यवहारिक सुझाव दिये गये हैं जिसके द्वारा कलीसिया के सामाजिक
सिद्धांतों को व्यक्ति अपने जीवन में लागू कर सकता है।
इस दस्तावेज़ के द्वारा
काथलिक कलीसिया चाहती है कि लोग आज के समाज में उठ रहे ज्वलंत सवालों का समाधान सौहार्दपूर्ण
तरीके से कर सकें और एक साथ जीने का एक ऐसा रास्ता खोजें जिसमें एक ओर तो लोगों को सुसमाचार
के मूल्यों को बताया जा सके तो दूसरी ओर सदभाव, समभाव और सर्वजनाय हिताय की भावना को
सिंचित करते हुए लोग एक अर्थपूर्ण एवं परहितमय जीवन जीने का मार्गदर्शन भी प्राप्त कर
सकें। श्रोताओ पिछले सप्ताह में हमने सुना कि काथलिक कलीसिया के सामाजिक के सिद्दांतों
को लिखने का क्या मकसद था।आज हम सुनेंगे कि किस प्रकार से यह दस्तावेज़ दुनिया के लोगों
के लिये एक उपयुक्त हथियार बन सकती है जिससे मानवता का कल्याण हो।
11. श्रोताओ,
आज मैं आप लोगों को बता दूँ कि वास्वत में जब इस दस्तावेज़ को लिखा जा रहा था तब उनके
मन में क्या विचार थे। काथलिक कलीसिया के सामाजिक सिद्दांतों को लिखते समय लेखकों और
विशेषज्ञों का सोच था कि इसे धर्माध्यक्षों के लिये लिखा जाये ताकि वे इसकी व्याख्या
सही ढंग से कर पायेंगे और लोगों को इसके बारे में समझा पायेंगे। इसीलिये इस दस्तावेज़
में यह बताने का प्रयास किया गया है कि दुनिया की वस्तुएँ और मानवीय संस्थायें सभी ईश्वर
की इच्छा के अनुसार मानव की मुक्ति के लिये बनायी गयी हैं। और वे सभी संस्थायें येसु
के राज्य के निर्माण में अपना योगदान बडे़ पैमाने पर कर सकती हैं। इस दस्तावेज़ से
न केवल धर्माध्यक्ष वरन् पुरोहित धर्मबहनें और धर्मसमाजी और अन्य लोग भी लाभान्वित हो
सकते हैं और उन लोगों को भी इसके बारे में बता सकते हैं जो उनके अधीन में शिक्षा ग्रहण
करते हैं। जो लोकधर्मी सत्य की खोज में हैं उनके लिये भी यह दस्तावेज़ बहुत ही लाभदायी
सिद्द हो सकता है। वे इसके द्वारा मार्गदर्शन पायेंगे ताकि वे अपने जीवन से ईश्वर की
इच्छा पूरी कर सकें। यह दस्तावेज़ ईसाई समुदायों के लिये भी हितकारी होगा क्योंकि वे
इसे पढ़कर यह जानकारी प्राप्त कर पायेंगे कि दुनिया की वर्त्तमान स्थिति कैसी है और ऐसे
समय में किस तरह से निर्णय लिया जाना चाहिये और फिर इसे अपने जीवन में लागू कैसे करना
चाहिये। 12. श्रोताओ, हम ऐसा न सोचें कि कलीसिया के इस महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को सिर्फ
काथलिकों के लिये ही तैयार किया गया है।इस दस्तावेज़ को तैयार करते समय यह भी ध्यान दिया
गया है कि इससे ईसाईयों के अन्य समुदायों को लाभ हो। इसके साथ कलीसिया के इस सामाजिक
सिद्धांत में इस बात को भी ध्यान दिया गया है कि इससे उन सभी लोगों को लाभ हो जो अच्छे
जीवन जीने की कामना करते हैं और चाहते हैं कि सबका हित हो।श्रोताओ मैं आप सबों को यह
भी बताना चाहता हूँ कि जो इसके शब्दों पर विचार करेंगे और इसके अनुसार चलेंगे वे पवित्र
आत्मा की अनेक कृपाओं को ग्रहण करेंगे। इस दस्तावेज को हम ऐसा भी समझ सकते हैं कि यह
पुरानी परंपरा और नयी संस्कृति का अति लाभदायक ज्ञान का भण्डार है। और इसीलिये काथलिक
कलीसिया चाहती है कि इससे सभी लोग जाने और लाभान्वित हों। श्रोताओ इसे हम कह सकते है
कि भगवान ने इस दस्तावेज़ के द्वारा हमारे लिये एक आशा दी है ताकि हम भाईचारा न्याय और
शांति का प्रचार एवं प्रसार कर सकें।
काथलिक कलीसिया इस बात पर विश्वास करती
है कि समाज के मुद्दों को समझने के लिये एक साथ आने और विचार करने से हम कलीसिया के
द्वारा दी गयी अच्छी परंपरा को बरकरार रखते हुए लोगों को प्रेरित कर सकेंगे ताकि सहयोग
की भावना से शांति और न्याय के लिये कार्य हो सके। 13. श्रोताओ यह दस्तावेज़ कलीसिया
की लोगों के लिये ऐसी सेवा है जिसका आरम्भ खुद पिता ईश्वर ने किया था।पिता ईश्वर ने
दुनिया के साथ वार्तालाप करने के लिय खुद अपने पुत्र को माध्यम और संदेश दोनों बनाया
और इस दुनिया में भेजा। श्रोताओ यह दस्तावेज़ मेषपालीय संविधान गौदियुम एत स्पेस नामक
दस्तावेज़ से भी प्रेरणा लेती है। इसके अनुसार कलीसिया किसी दुनियावी महत्वकांक्षा के
कारण नहीं बल्कि आत्मा की प्रेरणा से ही येसु के कार्य को आगे ब़ढ़ाना चाहती है।जैसा
कि येसु मसीह ने इस धरती पर आकर दुनिया सत्य का साक्ष्य दिया, उन्होंने लोगों की सेवा
की और इसे बचाने के लिये अपना सबकुछ दे दिया । 14.श्रोताओ इस दस्तावेज़ के द्वारा
कलीसिया चाहती है कि वह सत्य के बारे में साक्ष्य दे और दुनिया के बारे में यह बताये
कि मनुष्य का ईश्वर की दृष्टि और सृष्टि में क्या स्थान होना चाहिये।आज जो भी धर्म संस्कृति
और परंपरायें हैं इनका विकास और विस्तार के पीछे बहुत हद तक इसके अतीत जिम्मेदार हैं।और
उन्हीं अतीत के अनुभवों के आधार पर विभिन्न धर्मों के धर्मावलंबी मानव की सृष्टि और समाज
में उसके स्थान के बारे में अपने विचार रखते हैं। वे लोग इन्हीं अनुभवों के आधार पर
मनुष्य के जीवन के रहस्यों की व्याख्या करने का प्रयास करते हैं।