श्रोताओ, आइये आपको एक घटना के बारे में बताता हूँ। एक व्यक्ति था। वह अपने धर्म के नियमों
का पालन बखूबी किया करता था।उसका एक पड़ोसी था। वह उसे हरदम परेशान किया करता था।एक दिन
उसे उस पर गुस्सा आया। जब मार-पीट की नौबत आ गयी तब वह व्यक्ति भाग खड़ा हुआ। और तब यह
नियम का पालन करने वाले व्यक्ति ने सोचा कि उस व्यक्ति को वह समाप्त कर दे। वह तुरन्त
अपने घोड़े पर सवार हो गया और उस व्यक्ति का पीछा करने लगा। जब वह पीछा कर रहा था तब
उसने घंटे की आवाज़ सुनी। यह घंटा प्रार्थना करने के लिये बजायी जा रही थी। वह नियम पालन
करने वाला व्यक्ति रूक गया, घोड़े से उतरा और ईश्वर से करीब 10 मिनट के लिये प्रार्थना
की।इसके बाद फिर पूरे उत्साह से अपने दुश्मन का पीछा करने लगा। घंटी की आवाज़ सुनकर
वह नियमपालन करने वाला रूक तो गया और प्रार्थना भी की पर सिर्फ नियम पालन के लिये। नियम
पालन अगर हम दिल से नहीं करते हैं तो इससे हमारे जीवन को लाभ नहीं होगा। यदि हम नियम
का पालन सिर्फ दूसरों को दिखाने के लिये करते हैं या इसलिये करते क्योंकि यह हमारी आदत
बन गयी है तब हम आध्यात्मिक रूप से अन्धे ही हैं। श्रोताओ, आज हम पूजन विधि पंचांग
के अनुसार चालीसे के चौथे सप्ताह के लिये प्रस्तावित पाठों के आधार पर मनन-चिन्तन कर
रहे हैं।आज के सुसमाचार पाठ में एक अन्धे व्यक्ति के बारे में चर्चा की गयी है जिसे प्रभु
चंगाई प्रदान करते हैं। आईये हम संत जोन के सुसमाचार के नवें अध्याय के पहले पद से लेकर
इकतालिसवें पद तक वर्णित इस घटना को सुनें। लोग उस मनुष्य को जो पहले अन्धा था फरीसियों
के पास ले गये। जिस दिन ईसा ने मिट्टी सान कर इसकी आँखें अच्छी की थीं, वह विश्राम का
दिन था। फरीसियों ने भी उससे पूछा कि वह कैसे देखने लगा।उस व्यक्ति ने कहा उन्होंने
मेरी आँखों पर पट्टी लगा दी, मैं नहाया और अब मैं देखता हूँ।इस पर कुछ फरीसियों ने कहा-
वह मनुष्य ईश्वर के यहाँ से नहीं आया है क्योंकि वह विश्राम-दिवस के नियम का पालन नहीं
करता है। कुछ लोगों ने कहा कि पापी मनुष्य ऐसा चमत्कार कैसे दिखा सकता है। इस तरह उनमें
मतभेद हो गया।उन्होंने अन्धे से फिर पूछा- जिस मनुष्य ने तुम्हारी आँखें अच्छी की है,
उसके विषय में तुम क्या कहते हो। उस अन्धे ने जवाब दिया, वह नबी हैं। श्रोताओ, मुझे
पूरा विश्वास है आपने आज के सुसमाचार में वर्णित अन्धे के चंगाई की घटना को गौर से सुना
होगा। श्रोताओ, वैसे तो पूरी घटना का हमने वर्णन हमने नहीं किया है फिर भी इस घटना से
यह तो स्पष्ढ हो जाता है कि घटना मे दो प्रकार के लोग हैं। पहला दल फरीसियों का है जिन्हें
बस नियम की चिन्ता है नियम के पीछे जो आध्यात्मिकता होनी चाहिये उसकी उन्हें कोई फिक्र
नहीं है। दूसरा दल है येसु का जिसमें येसु के साथ अन्धा है जिन्हें नये जीवन की चिन्ता
है। श्रोताओ, अगर आप बाईबल बराबर पढ़ते हों या बाईबल में वर्णित घटनाओं के बारे में
सुनते रहे होंगे तो आप को मालूम होगा कि फरीसियों येसु के ज़माने में फरीसियों का ऐसा
दल था जो समाज और सम्प्रदाय के नियमों का पालन बारीकी से किया