2018-07-17 17:22:00

चीन से वार्ता : प्रेरितिक उत्तराधिकार एवं धर्माध्यक्षों की वैधता


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 जुलाई 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ कैथोलिकता को एक भौगोलिक या संस्थागत अर्थ में नहीं समझा जाना चाहिए लेकिन धार्मिक सिद्धांत की प्रमाणिकता के भाव में एवं पूर्ण एकता की परम्परा के प्रति निष्ठा में विश्वास के रूप में समझा जाना चाहिए। कैथोलिकता की यह गहरी भावना हृदय एवं आत्मा को छू देती है। कैथोलिकता वास्तव में एक यात्रा है उस एकता की ओर जो विविधताओं को स्वीकार करते हुए ख्रीस्त में एक कर देता है अतः स्थानीय कलीसियाएँ आंतरिक रूप से ईश्वर की समस्त प्रजा के लिए यूखरिस्त मनाने हेतु इस तरह संचरित हैं जिसके  शीर्ष धर्माध्यक्ष हैं जो पुरोहितों के साथ, उपयोजकों का सहयोग प्राप्त करते हैं।  

इस अर्थ में, काथलिक कलीसिया की स्थापना इस प्रकार हुई है कि स्थानीय कलीसिया के धर्माध्यक्ष रोम के धर्माध्यक्ष के साथ जुड़े हैं जो उदारता में विश्व भर के सभी स्थानीय कलीसियाओं की अध्यक्षता करते हैं। यदि स्थानीय कलीसिया के धर्माध्यक्ष रोम के धर्माध्यक्ष के साथ जुड़े न हों तथा अपने दैनिक कार्यों में उनके साथ एकता को व्यक्त न करें तो बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। अतः कलीसिया का नियम अनुसार, बिना अधिकार के धर्माध्यक्षीय अभिषेक प्रदान करने वाले धर्माध्यक्ष तथा उसे ग्रहण करने वाले पर गंभीर प्रतिबंध लगाये जाते हैं।

इस तरह का अभिषेक वास्तव में कलीसियाई समुदाय के दुःखद घाव को दर्शाता है तथा यह कलीसियाई नियम का गंभीर उलंघन है।

इस प्रकार संत पापा के अधिकार पत्र के बिना चीनी धर्माध्यक्षों द्वारा अभिषेक की वैधता ठंडा नौकरशाही अधिनियम के अलावा कुछ नहीं हो सकता, जबकि इसे वास्तव में सच्चे एवं गहन रूप से कलीसियाई आत्मपरख की यात्रा होनी चाहिए, जिससे विशेष मामलों का मूल्यांकन यह निर्धारित करने के लिए किया जा सके कि क्या आवश्यक स्थितियां मौजूद हैं, जैसे उस धर्माध्यक्ष को काथलिकों की पूर्ण एकता में पुनः शामिल किया जा सकता है।

ऐसी यात्रा तब शुरू होती है जब इच्छुक पार्टी बार-बार क्षमा के लिए संत पापा को स्पष्ट और ईमानदार अनुरोध करता है। इस अनुरोध के बाद प्रक्रिया निम्न चरणों के साथ आगे बढ़ता है:

-संत पापा द्वारा उस अनुरोध का अवलोकन तथा उनके द्वारा क्षमा किया जाना।

- कानूनी प्रतिबंधों और दंड से मुक्ति, विशेषकर, कलीसियाई निष्काशन से।

-संस्कारीय मुक्ति।

-पूर्ण सहभागिता में पुनः शामिल।

-आंतरिक दृष्टिकोण और सार्वजनिक आचरण के प्रक्षेपण पर स्वीकृति जो सहभागिता को व्यक्त करता है।

-प्रेरितिक अधिकार।

यह लेख परमधर्मपीठ एवं चीन के बीच वार्ता के अंतिम लेख का दूसरा अंश है।








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