2018-07-09 14:09:00

ईश्वर मनुष्यों की योजनाओं को बदल देते हैं, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 जुलाई 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 8 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ (मार. 6,1-6) येसु के नाजरेत में लौटने और विश्राम-दिवस पर सभागृह में शिक्षा देने को प्रस्तुत करता है। जब से, उन्होंने बाहर निकलकर आस-पास के गाँवों में जाकर उपदेश देना आरम्भ किया था तब से उन्होंने अपने गाँव में पाँव नहीं रखा था अतः पूरे गाँव के लोग अपने बेटे, जिनकी ख्याति एक प्रभावशाली गुरू एवं चंगाई दाता के रूप में समस्त गलीलिया एवं उससे भी बाहर दूर-दूर तक फैल चुकी थी, उपदेश सुनने के लिए एकत्रित थे किन्तु जिससे सफलता मनी जानी चाहिए थी, वह अब बहिष्कार में बदल गयी, जिसके कारण येसु वहाँ कुछ चंगाई के सिवा दूसरा कोई चमत्कार नहीं कर सके। उस दिन की गतिविधि को सुसमाचार लेखक संत मारकुस विस्तार से इस तरह प्रस्तुत करते हैं। "जब विश्राम-दिवस आया, तो वे सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत-से लोग सुन रहे थे और अचम्भे में पड़ कर कहते थे, ''यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है? यह जो महान् चमत्कार दिखाता है, वे क्या हैं? क्या यह वही बढ़ाई नहीं है- मरियम का बेटा, याकूब, यूसुफ़, यूदस और सिमोन का भाई? क्या इसकी बहनें हमारे ही बीच नहीं रहती?'' और वे ईसा में विश्वास नहीं कर सके।" (पद. 2-3) इस पर येसु ने कहा, "अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता।" (पद.4)

संत पापा ने कहा, "हम अपने आप से पूछें, किस तरह येसु के अपने ही शहर के लोग विस्मय से अविश्वास की ओर चले गये? संत पापा ने कहा कि वे येसु के जन्म स्थान एवं उनकी वर्तमान स्थिति के बीच तुलना करने लगे। कहने लगे कि वह एक बढ़ाई का बेटा है, उसने पढ़ाई नहीं की है फिर भी वह फरीसियों से अधिक अच्छा उपदेश कैसे दे सकता है तथा कैसे चमत्कार कर करता है। इस प्रकार वे सच्चाई को स्वीकार करने के बदले, उनका अपमान करने लगे। 
नाजरेथ के लोगों के अनुसार, ईश्वर इतने महान हैं कि इस साधारण व्यक्ति के माध्यम से नहीं बोल सकते। संत पापा ने कहा कि यह शरीरधारण का अपमान है, ईश्वर के शरीरधारण की अवहेलना जो मनुष्य की तरह सोचते, मानव के हाथ से काम करते तथा मानव हृदय से प्रेम करते हैं। एक ईश्वर जो संघर्ष करते, हमारे समान खाते और सोते हैं। ईश्वर के पुत्र ने मनुष्यों की हर योजना को पलट दिया, शिष्यों ने नहीं किन्तु प्रभु ने उनके पैर धोये। यही उनके अपमान एवं अविश्वास का कारण था, न केवल उस युग में किन्तु हर युग में और आज भी है।   
येसु द्वारा किया गया परिवर्तन कल और आज के उनके शिष्यों को व्यक्तिगत और सामुदायिक सत्यापन के लिए प्रतिबद्ध करता है। हमारे समय में ऐसा हो सकता है कि पूर्वाग्रह के कारण हम सच्चाई को स्वीकार नहीं कर सकते, किन्तु प्रभु आज हमें निमंत्रण देते हैं कि हम दीनता पूर्वक सुनने एवं विनम्रता पूर्वक इंतजार करने के मनोभाव को अपनाएँ क्योंकि ईश्वर की कृपा बहुधा विस्मयजनक तरीके से प्रस्तुत होता है जो हमारी आशा के परे होता है। उदाहरण के लिए हम कलकत्ता की मदर तेरेसा पर गौर करें। एक छोटी धर्मबहन जिसे किसी ने दस रूपये भी नहीं दिया, वह गलियों में गयी एवं मरते हुए लोगों के अच्छे मरण हेतु तैयारी में उनकी मदद की। इस छोटी धर्मबहन ने प्रार्थना एवं अपने कार्यों से आश्चर्यजनक कार्य किया है। एक महिला की दीनता ने कलीसिया में दया के कार्य में महान क्रांति ला दिया। यह हमारे समय का एक अच्छा उदाहरण है। ईश्वर पूर्वग्रह नहीं करते।

संत पापा ने कहा कि हमें अपने हृदय एवं मन को खोलना चाहिए, उस दिव्य सच्चाई का स्वागत करने के लिए जो हमसे मुलाकात करने आते हैं। इसके लिए विश्वास की आवश्यकता है। विश्वास की कमी ईश्वर की कृपा को ग्रहण करने के रास्ते में बाधक है। बपतिस्मा प्राप्त कर लोग इस तरह जीते हैं मानो कि ख्रीस्त का अस्तित्व है ही नहीं। विश्वास के चिन्ह बार-बार दुहराये जाते हैं किन्तु वे उसमें येसु और उनके सुसमाचार को देख नहीं पाते। हर ख्रीस्तीय एवं हम प्रत्येक जन अपने व्यवहार द्वारा उनके साथ संबंध गहरा करने तथा उनका साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं जो हमें सदा उदार बनने हेतु प्रेरित करता है।  
संत पापा ने माता मरियम की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, "हम माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रभु से प्रार्थना करें कि वे हमारे हृदय की कठोरता एवं मन की संकीर्णता को दूर करे ताकि हम उनकी कृपा, उनकी सच्चाई एवं अच्छाई तथा करूणा के मिशन में अपना योगदान देने के लिए अपने आपको खोल सकेंगे।"  
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीरवाद दिया। 
देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रीयों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने बारी में अपनी यात्रा की याद करते हुए कहा, "कल बारी में मध्यपूर्व की विभिन्न कलीसियाओं के प्राधिधर्माध्यक्षों एवं प्रतिनिधियों के साथ, हमने उस क्षेत्र में शांति बहाल हेतु प्रार्थना एवं चिंतन के एक विशेष दिन के रूप में व्यतीत किया। उन्होंने कहा, मैं इस मुलाकात के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जो ख्रीस्तीय एकता का एक महान चिन्ह है तथा ईश प्रजा के उत्साही सहभागिता को दर्शाता है। संत पापा ने सभी कलीसियाओं के प्राधिधर्माध्यक्षों एवं प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने अपने विचारों एवं साक्ष्यों के द्वारा सभा को सार्थक बनाया। उन्होंने बारी के महाधर्माध्यक्ष तथा वहां के सभी विश्वासियों के प्रति भी अपना आभार प्रकट किया जिन्होंने प्रार्थना एवं आनन्दमय उपस्थिति द्वारा सभा में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया।  
संत पापा ने विश्व समुद्र दिवस का स्मरण दिलाते हुए सभी नाविकों एवं मछुवारों की याद की। उन्होंने उनके एवं उनके परिवारवालों तथा उनकी आध्यात्मिक मदद हेतु नियुक्त पुरोहितों के लिए प्रार्थना की। उन्होंने उन लोगों के लिए विशेष प्रार्थना की जो समुद्र में कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं साथ ही, समुद्र को प्रदूषण से बचाने हेतु कार्य कर रहे हैं। 

उसके बाद उन्होंने सभी विश्वासियों का अभिवादन किया, खासकर, चेस्तोकोवा की तीर्थयात्रा पर रेडियो मरिया परिवार के सदस्यों का अभिवादन किया। उन्होंने फिलिपींस के वेदी सेवकों, पादुवा के युवाओं, ब्रेशा और स्काउट्स के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों तथा ब्राजील के लोगों का भी अभिवादन किया। 
अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएं अर्पित की।

 








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