2018-07-07 11:28:00

बारी: ख्रीस्तीयों के बिना मध्यपूर्व, मध्यपूर्व नहीं रहेगा, सन्त पापा फ्राँसिस


बारी, शनिवार, 7 जुलाई 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): इटली के बारी नगर की एकदिवसीय तीर्थयात्रा कर सन्त पापा फ्राँसिस ने शनिवार, 07 जुलाई को बारी स्थित सन्त निकोलस महागिरजाघर की भेंट की तथा सन्त निकोलस की समाधि पर प्रार्थनाएँ अर्पित की। तदोपरान्त, उन्होंने समुद्री तट "रोतोन्दो सुल लुन्गो मारे" में प्रार्थना समारोह का नेतृत्व कर बारी को स्वीकृति एवं साक्षात्कार का महत्वपूर्ण स्थल निरूपित किया।

 

बारी नगरवासियों को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा: "हम तीर्थयात्री रूप में बारी पहुंचे हैं। यह झरोखा हमारे समक्ष निकटवर्ती पूर्व के द्वारों को खोलता है तथा हमारा ध्यान कठिन परिस्थितयों में जीवन यापन करनेवाले हमारे गिरजाघरों और लोगों के प्रति आकर्षित कराता है। "हम उनसे कहना चाहते हैं, हम आपके निकट हैं।"

 

बारी के लोगों के स्वागत-सत्कार के लिये सन्त पापा ने धन्यवाद अर्पित किया और बारी में व्याप्त माँ मरियम की भक्ति की सराहना करते हुए कहा कि बारी में मरियम को होदेजेत्रिया अर्थात् मार्ग प्रदर्शित करनेवाली नाम से पुकारा जाता है और मरियम वही हैं।

सन्त पापा ने कहा, "ईश माता मरियम हमारी इस तीर्थयात्रा में हमारे साथ है तथा हमारा मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने स्मरण दिलाया कि बारी में सन्त निकोलस के अवशेष सुरक्षित हैं जो पूर्व के धर्माध्यक्ष रहे थे और जिनकी भक्ति विभिन्न कलीसियाओं के बीच सागरों एवं सेतुओं की सीमाओं को पार कर सबको एकता के सूत्र में बाँधती है।"   

सन्त पापा ने कहा, "इसीलिये बारी में इन पुण्य स्थलों पर चिन्तन स्वाभाविक तौर पर हमारा ध्यान मध्यपूर्व के प्रति आकर्षित कराता है जो सभ्यताओं का मिलन स्थल एवं महान एकेश्वरवादी धर्मों का पालना रहा है। मध्यपूर्व से ही सूर्य के सदृश प्रभु हमारी भेंट करने ऊपर से आये और वहीँ से विश्वास की ज्योति सम्पूर्ण विश्व में फैली। वहीं से आध्यात्मिकता और मठवासी जीवन की अनवरत बहती धाराएँ प्रवाहित हुईं, वहीं पर प्राचीन और अद्वितीय संस्कार और धर्मविधियां और साथ ही पवित्र कला एवं धर्मतत्व विज्ञान की अतुलनीय धरोहर सुरक्षित रही। मध्यपूर्व की यह परम्परा वह कोष है जिसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है क्योंकि मध्यपूर्व ही वह भूमि है जहाँ हमारे हृदय मूलबद्ध हैं।"

तथापि, उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश हाल के दशकों में मध्यपूर्व पर युद्ध, हिंसा और विनाश तथा अधिकरण, अतिवाद और चरमपंथ, बलात आप्रवास एवं उपेक्षाभाव के काले बादल छाये रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब अनेक लोगों के मौन के बीच होता रहा है। मध्यपूर्व ऐसी भूमि बन गई है जहाँ से लोग पलायन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "यह भी ख़तरा बना हुआ है कि मध्यपूर्व के चेहरे को विकृत करती हुई विश्वास में हमारे भाईयों एवं बहनों की उपस्थिति ही उस भूमि से लुप्त हो जायेगी। ख्रीस्तीयों के बिना मध्यपूर्व मध्यपूर्व नहीं रह जायेगा।"   

सन्त पापा फ्राँसिस ने बारी में शनिवार के प्रार्थना समारोह को पूर्णतः मध्यपूर्व के प्रति अर्पित करते हुए कहा, "आज हमारी प्रार्थना है कि ईश्वर की ज्योति विश्व का अंधकार हर लें। इसीलिये हम सन्त निकोलस के समक्ष एक लौ वाला दीप जलाते हैं, जो एक कलीसिया का प्रतीक है। यह लौ आशा की लौ है, जो यह सन्देश देना चाहती है कि ख्रीस्तीय विश्वासी केवल प्रकाश के बीच प्रकाश नहीं हैं बल्कि अन्धकार के क्षणों में भी प्रार्थना और प्रेम के तेल से प्रकाश लाने में समर्थ हैं।"

एकता में सूत्रबद्ध होकर प्रार्थना का आह्वान करते हुए सन्त पापा ने कहा, "हम सब एक साथ मिलकर प्रार्थना करें और स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी से उस शांति की याचना करें जिसे खोजने में हमारे विश्व के सत्ताधारी असमर्थ रहे हैं। नील नदी के जल से लेकर यर्दन की घाटी तक और उससे भी परे ओरोन्तेस से लेकर तिगरिस और यूफ्रातेस नदियों से होते हुए स्तोत्र ग्रन्थ के 122 वें  भजन के ये शब्द गूँज उठे: "आप पर शांति बनी रहे।" अपने पीड़ित भाइयों एवं बहनों के लिये चाहे वे किसी भी धर्म और विश्वास के ही क्यों न हों, सबके लिये हम बारम्बार कहें, : "आप पर शांति बनी रहे।" पवित्र शहर जैरूसालेम, प्रभु का प्रिय और मनुष्यों द्वारा घायल जैरूसालेम के लिये हम शांति की याचना करें जिसके लिये प्रभु भी विलाप करते हैं।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि हाबिल की तरह हम यह नहीं कह सकते कि अपने पीड़ित भाइयों के प्रति हमारा कोई दायित्व नहीं है। उन्होंने कहा, "उदासीनता मार डालती है और हम इस हत्यारी उदासीनता के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलन्द करने का मनोरथ रखते हैं। हम उनकी आवाज़ बनना चाहते हैं जिनकी आवाज़ नहीं है, उनकी आवाज़ जो केवल अपने आँसू पोछते रहते हैं। मध्यपूर्व विलाप कर रहा है, वह चुपचाप उत्पीड़ित है जबकि अन्य सत्ता और समृद्धि पाने के लिये उस भूमि को रौंद रहे हैं। नन्हें मुन्ने की ओर से, सीधेयसरल लोगों की तरफ से, घायलों की ओर से और उन सब लोगों की ओर से जो ईश्वर की तरफ हैं हम याचना करें, "वहाँ शांति होने दो"। सान्तवना के ईश्वर जो टूटे हुए हृदयों को जोड़ते और हर घाव पर पट्टी बाँधते हमारी प्रार्थना सुन लें।" 








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