2018-06-23 13:58:00

संत पापा ने अफ्रीकी कलीसियाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 जून 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 23 जून को, अफ्रीकी स्थापित कलीसियाओं के संगठन के 11 प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा काथलिक कलीसिया के साथ नजदीकी संबंध स्थापित करने की उनकी उत्सुकता के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, आपके समुदायों ने अपने छोटे इतिहास में अफ्रीकी प्रायद्वीप की आजादी के संघर्ष को प्रभावित किया है तथा अफ्रीका में विशाल विविधता के बीच न्याय और शांति द्वारा मानव प्रतिष्ठा की रक्षा कर समाज के निर्माण का प्रयास किया है। 
संत पापा ने उन देशों के लिए खेद प्रकट किया जहाँ विकास एवं न्याय की प्रतिज्ञा अब तक पूरी नहीं हो पायी है, कई देश अब भी शांति से दूर हैं, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास से वंचित हैं जो सभी नागरिकों के जीवन स्तर एवं अवसरों को सुनिश्चित करता है।
संत पापा ने प्रतिनिधियों से कहा कि वे अफ्रीका की चुनौतियों से वाकिफ हैं, और उन चुनौतियों से भी परिचित हैं जिनका विभिन्न कलीसियाएँ सुसमाचार प्रचार, मेल-मिलाप एवं मानवीय सहायता की प्रेरिताई में सामना कर रहे है खासकर, स्थायित्व, शिक्षा एवं युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने की चुनौतियाँ। 
संत पापा ने आज के अफ्रीका की तुलना येरूसालेम से येरीखो जाते हुए उस व्यक्ति से की जिसपर लुटेरों ने आक्रमण कर उसे घायल कर दिया था। उन्होंने सभी ख्रीस्तीयों के लिए प्रेरिताई की याद दिलाते हुए कहा कि ख्रीस्तीयों के लिए मुख्य सवाल है कि अफ्रीका के लोगों के लिए ख्रीस्तीय संदेश अच्छी खबर कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी खबर तभी बन सकती है जब हम गरीबों एवं युवाओं की निराशा में आशा जगायें तथा बुजुर्गों और पीड़ितों के लिए, येसु मसीह की शांति, खुशी, सद्भाव के अनुभवों को प्रेम और एकता द्वारा प्रकट करें। 
यदि हम सचमुच विश्वास करते हैं कि अफ्रीका की समस्याएँ प्रायद्वीप की मानवीय, सांस्कृतिक एवं भौतिक संसाधनों को प्राप्त कर अधिक आसानी से सुलझायी जा सकती हैं तो यह स्पष्ट है कि हमारा ख्रीस्तीय कर्तव्य है उन संसाधनों के विवेकी एवं नैतिक प्रयोग को प्रोत्साहन देना  खासकर, संघर्ष के क्षेत्रों में शांति निर्माण हेतु प्रतिबद्ध होना तथा जरूरतमंद लोगों के प्रति ठोस एकात्मकता प्रकट करना। यह कलीसिया के नेताओं का कर्तव्य है कि वे प्रत्येक व्यक्ति को उनकी ऊर्जा को सार्वजनिक भलाई तथा सभी लोगों की मानव प्रतिष्ठा, स्वतंत्रता एवं उसके अधिकारों की रक्षा में प्रयोग करने में मदद करें।
उन्होंने कहा कि सभी ख्रीस्तीयों को सार्वजनिक हित के लिए एक साथ काम करने सीखना चाहिए।   
संत पापा ने अफ्रीका की आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वहाँ के लोगों में गहरी आध्यात्मिकता है वे सृष्टिकर्ता ईश्वर को मानते हैं, साथ ही साथ, वे परिवार और जीवन के प्रति प्रेम को महत्व देते हैं, बच्चों को ईश्वर का दान मानते, वयोवृद्धों का सम्मान करते, दूसरों के प्रति अपनी जिम्मेदरियों को पूरा करते हैं। संत पापा ने प्रश्न किया कि क्या इन धार्मिक मूल्यों और जीवन के इन सिद्धांतों को हम सभी ख्रीस्तीय के रूप में नहीं मानते हैं? उन्होंने कहा कि हम इन्हीं के आधार पर, पारस्परिक और सामाजिक संबंधों में अपनी एकजुटता व्यक्त करें।
संत पापा ने अफ्रीकी समाज में ख्रीस्तीयों का विशेष कर्तव्य विभिन्न जातियों, परम्पराओं, भाषाओं और धर्मों के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना कहा। अतः उन्होंने ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं मुलाकात को प्रोत्साहन दिया।  








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