2018-06-23 14:19:00

ईशवचन के प्रचार में ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखें, संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 जून 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 22 जून को धर्मसमाज की आमसभा में भाग ले रहे दिव्य वचन को समर्पित धर्मसमाज (एस. वी. डी) के प्रतिनिधियों से वाटिकन में मुलाकात की। 
उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि सुसमाचार का प्रचार करते हुए वे ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखें, विशेषकर, परित्यक्त, वंचित एवं दीन लोगों के बीच तथा वे अपने बुलाहट एवं मिशन में एक-दूसरे के साथ भ्रातृत्व बनाये रखें।   
एस वी डी धर्मसमाज की 18वीं आमसभा 17 जून को रोम के नेमी में आरम्भ हुई जिसमें 155 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 
आमसभा की विषयवस्तु है, "मसीह का प्रेम हमें प्रेरित करता है।" (2 कोर. 5:14)
संत पापा ने आमसभा की विषयवस्तु पर गौर करते हुए कहा कि इसमें संत पौलुस का मनोभाव एवं प्रेरिताई की खुशबू स्पष्ट है। उन्होंने पुरोहितों से अपील की कि वे अपने मूल एवं उत्पति की ओर लौटें जिसकी कल्पना संस्थापक संत अर्नोल्ड जॉनस्सन ने की थी। जिन्होंने ईशवचन के प्रचार एवं भाइयों के साथ समुदाय में रहने हेतु ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखा। 
ईश्वर की कृपा पर भरोसा
संत पापा ने एसवीडी पुरोहितों को प्रोत्साहन दिया कि वे ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखें तथा सुसमाचार के आनन्द का प्रचार करने के लिए बिना भय बाहर निकलें जो बहुतों को खुशी प्रदान करता है। उन्हें जोखिम उठाने का साहस करना तथा पवित्र आत्मा के कार्य के लिए बाधक नहीं बनना चाहिए। यह भरोसा प्रतिदिन प्रार्थना एवं संस्कारों में येसु के साथ मुलाकात द्वारा नवीकृत होता है। यह उन्हें आत्मजाँच करने तथा अपने सभी कार्यों एवं योजनाओं में ईश्वर की इच्छा पूरी करने में अपने को परखने हेतु खुला होने में मदद देता है। 
ईशवचन की घोषणा
संत पापा ने सोसाईटी ऑफ डिवाईन वॉड धर्मसमाज के पुरोहितों को स्मरण दिलाया कि वे अपने धर्मसमाज के कारिज्म के अनुसार ईश वचन का प्रचार आवश्यक साधनों का प्रयोग करते हुए सभी के लिए, हर समय, हर जगह एवं हर संस्कृति के लोगों के लिए करें। 
मिशन हेतु भाइयों का समुदाय
संत पापा ने पुरोहितों से आग्रह किया कि वे प्रभु से संयुक्त होकर, एक साथ चलते एवं एक-दूसरे से प्रेम करते हुए भाइयों के समुदाय का निर्माण करें, जिसको उन्होंने सबसे महान सुसमाचार प्रचार का कार्य कहा। संत पापा ने कहा, "कलीसिया की तरह दुनिया को भी विविधताओं एवं विभिन्न संस्कृतियों के होते हुए, भ्रातृप्रेम की अनुभूति आवश्यक है। जहाँ हरेक व्यक्ति एक-दूसरे की सेवा में समर्पित हो सके एवं कोई भी किसी से बड़ा न बने।"
संत पापा ने कहा कि उनकी यह एकता उन्हें कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद करेगी तथा जो समाज से बहुष्कृत हैं, अपने भाग्य पर छोड़ दिये गये हैं तथा स्वार्थी लोगों के द्वारा रौंद दिये गये हैं उनके बीच  जाने एवं अन्य भाई बहनों से मुलाकात करने हेतु प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि वे सुनने तथा रोटी एवं न्याय की तलाश करने वालों को मदद देकर शांति लाने, जीवन की प्रतिष्ठा की खोज करने वालों की सहायता करने तथा पीड़ित लोगों को सांत्वना एवं आशा प्रदान करने के दया के कार्यों द्वारा धन्यता के मनोभाव को साकार करने हेतु भेजे गये हैं।  
उत्पति एवं समाधि
अंत में संत पापा ने कहा कि वे अपने उत्पति की ओर लौटें जो अस्पष्ट आध्यात्मिकता पर आधारित नहीं है बल्कि जिसकी जड़े हैं और जो जीवन देता है जिसके कारण उसकी देखभाल एवं उससे प्रेम किये जाने की आवश्यकता है। संत पापा ने एस वीडी पुरोहितों को सलाह दी कि वे समाधि पर भी चिंतन करें, सुदूर अफ्रीका, एशिया, अमाजोन एवं विश्व के अन्य जगहों पर जहाँ एसवीडी के मिशनरियों को दफनाया गया है। उन पुरोहितों ने अपना जीवन मिशन हेतु समर्पित किया था।  

 








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