2018-06-05 16:33:00

अंतर-ख्रीस्तीय विवाह में परमप्रसाद ग्रहण करने के प्रस्ताव को संत पापा की अस्वीकृति


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 5 जून 2018 (सी एन ए)˸ अंतर-ख्रीस्तीय विवाह में कुछ निश्चित परिस्थितियों में दम्पतियों को परमप्रसाद ग्रहण करने के प्रस्ताव पर विचार करने हेतु वाटिकन एवं जर्मन प्रतिनिधियों के मुलाकात एवं उसके लिए अनुमति की मांग को संत पापा फ्राँसिस ने अस्वीकार कर दिया है।

25 मई को म्यूनिक के महाधर्माध्यक्ष एवं जर्मन काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स को सम्बोधित पत्र में, विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल लुइस लादारिया एस. जे. ने कहा  कि जर्मनी का प्रस्ताव "कई महत्वपूर्ण समस्याओं की श्रृंखला खड़ा करता है।"

पत्र का प्रकाशन 4 जून को वाटिकन पत्रकार सांदरो मजिस्टर द्वारा किया गया था। पत्र की आधिकारिकता की पुष्टि वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा दी गयी थी जिसे जर्मन प्रतिनिधियों को भी प्रेषित किया गया था जिन्होंने इस विषय पर 3 मई को जर्मन धर्माध्यक्षों एवं वाटिकन अधिकारियों की एक सभा में भाग लिया था।   

कार्डिनल लुइस लादारिया ने कहा कि 3 मई की चर्चा के प्रकाश में संत पापा फ्राँसिस से बात-चीत के बाद, संत पापा "इस निष्कर्ष पर आये कि दस्तावेज प्रकाशित होने के लिए पर्याप्त परिपक्व नहीं है" तथा उन्होंने निर्णय के तीन मुख्य कारणों का हवाला दिया।

लादारिया ने जोर दिया है कि अंतर-ख्रीस्तीय विवाहों में प्रोटेस्टेंट दम्पतियों को परमप्रसाद दिया जाना "एक ऐसा मामला है जो कलीसिया के विश्वास को छूता है तथा विश्वव्यापी कलीसिया के लिए प्रासंगिक है।" एक गैरख्रीस्तीय को यूखरिस्त ग्रहण करने की अनुमति देना, चाहे वह कोई निश्चित परिस्थिति ही क्यों न हो, इसका प्रभाव अन्य कलीसियाओं के साथ ख्रीस्तीय एकता संबंधों एवं कलीसियाई समुदायों पर पड़ेगा, जिसे कम करके आंका नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा है कि यूखरिस्त का सवाल कलीसिया के कानून का मामला है तथा कलीसिया के नियम संख्या 844 का हवाला दिया जो काथलिक कलीसिया के संस्कारों को ग्रहण करने से संबंधित है, खासकर, कलीसिया के नियम संख्या 844 जिसमें काथलिक अनुष्ठाता केवल ख्रीस्तीय विश्वासियों के काथलिक सदस्य को ही वैध रूप से संस्कार दे सकता है और काथलिक सदस्य ही वैध रूप से संस्कार ग्रहण कर सकता है। इसके अलावा बाकी सभी को कलीसियाई कानून बाहर कर देता है।

यह विकल्प, उन गैर-काथलिक ख्रीस्तीयों को मेल-मिलाप संस्कार, यूखरिस्त संस्कार एवं रोगियों के संस्कारों में भाग लेने और गैर-काथलिक अनुष्ठाता द्वारा इन संस्कारों को ग्रहण करने की अनुमति देता है जिन कलीसियाओं में इन संस्कारों को मान्यता दी जाती है।  

कालीसिया के नियम में कहा गया है कि काथलिक अनुष्ठाता पूर्वी कलीसियओं के उन सदस्यों पर भी वैध रूप से संस्कारों का अनुष्ठान कर सकता है जो रोम के साथ पूर्ण एकता में नहीं हैं किन्तु अपनी सहमति पर ऐसा चाहते हैं और उचित तरीके से तैयार हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.