2018-06-02 16:01:00

पादरे पीयो की आध्यात्मिक पुत्री, दिव्य प्रेम की मारिया क्रूचिफिस्सा धन्य घोषित की गई


नेपल्स, शनिवार 2 जून 2018 (रेई) : पवित्र हृदय के प्रेरित धर्मबहनों के धर्मसमाज की संस्थापिका दिव्य प्रेम की मारिया क्रूचिफिस्सा आज शनिवार 2 जून को नेपल्स के महागिरजाघर में धन्य घोषित की गईं। पवित्र मिस्सा समारोह के दौरान संत पापा फ्राँसिस के प्रतिनिधि और संत प्रकरण के लिए गठित धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो अमातो धर्मबहन दिव्य प्रेम की मारिया क्रूचिफिस्सा को धन्य घोषित किया।  

जीवनी

मरिया गारगानी (बपतिस्मा नाम) का जन्म एक धार्मिक एवं कुलीन परिवार में 23 दसम्बर 1892 को  इटली के अवेलीनो प्रांत स्थित मोर्रा दे सान्तिस में हुआ था। आठ भाई-बहनों में मरिया सबसे छोटी थी। परिवार में सभी भाई बहन पढ़े लखे थे। उनके पिताजी को लोग प्रोफेसर कहा करते थे। नेपल्स में विश्वविद्यालय की शिक्षा समाप्त कर 1913 से 1928 तक संत मार्का ला कतोला के एक स्कूल में शिक्षण कार्य में संलग्न रहीं। येसु के पवित्र हृदय के प्रति उनकी गहरी भक्ति थी। इसी बीच उनका परिचय पादरे पीयो से हुआ और वे उनके आध्यात्मिक सलाहकार बने। 1933 में अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए तथा पादरे पीयो की सहायता से एक धार्मिक संगठन की स्थापना की, जो ख्रीस्तीय मुल्यों को पुनः कलीसिया में अनुप्राणित करने के लिए पुरोहितों के साथ मिलकर काम करने लगी। 1936 में उन्होंने बच्चों के लिए पहला बालवाड़ी खोला। स्कूल के बाद वे पल्ली की गरीब महिलाओं और बीमार लोगों से मिलने जाया करती थी।

 उन्होंने अपनी धर्मबुलाहट को पहचानते हुए एक धर्मबहन बनने का निणय लिया। 1945 में धार्मिक संगठन को एक धर्म समाज में परिणत करने के लिए कलीसियाई कार्य विधि शुरु हुई। 1956 में कलीसियाई कार्य विधि पूरी हुई और नये धर्मसमाज ‘पवित्र हृदय के प्रेरित धर्मबहनों के धर्मसमाज’ की स्थापना हुई। संस्थापिका दिव्य प्रेम की मारिया क्रूचिफिस्सा 1956 से 1971 तक धर्मसमाज की मदर जेनरल बनीं। 81 वर्ष की उम्र में 1973 में उनकी मृत्यु हुई।

16 मई 2002 में वे प्रभु सेविका से सम्मानित की गईं। वे हर परिस्थिति में शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अपने विश्वास का साक्ष्य साहस के साथ दिया। वे बहुत ही परिश्रमी और साहसी महिला थीं। दैनिक जीवन में उन्होंने कार्य और प्रार्थना में संतुलन बनाये रखा। उनके मिशन का लक्ष्य था प्रार्थना और ईश्वर की दया से आत्माओं को जीतना तथा अधिक से अधिक आत्माओं को येसु के पवित्र हृदय तक पहँचाना।

कार्डिनल अमातो ने समारोह के दौरान कहा, "पवित्र हृदय के प्रति सच्चा और समर्पित प्रेम के माध्यम से पवित्र बनने की उनकी इच्छा थी। वे कहा करती थी कि उन्होंने केवल प्रभु लिए काम किया था और उनके लिए वह खुद को आग में झोंकने के लिए भी सक्षम थीं।" यह धन्य दिव्य प्रेम की मारिया क्रूचिफिस्सा का अपनी धर्मबहनों के लिए आध्यात्मिक विरासत है।








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